

उत्तरकाशी में आई आपदा को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब हमें “हिमालय बचाओ, नदियां बचाओ” जैसे नारों को फिर से गंभीरता से लेना होगा, नहीं तो प्रकृति का कहर और भी विकराल रूप ले सकता है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव
New Delhi: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हाल ही में आई आपदा ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। बादल फटने के कारण भारी बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ से दर्जनों गांव प्रभावित हुए हैं। उत्तरकाशी के धराली गांव के कई घर-मकान मलबे में तब्दील हो चुके हैं। अब तक चार लोगों की मौत की खबर है। कई लोग लापता है। राहत और बचाव कार्य जारी है। जान-माल के भारी नुकसान के बीच धराली को दोबारा बसाने के प्रयास जारी है।
उत्तरकाशी के धराली, हर्षिल समते तीन क्षेत्रों में प्रकृति के भीषण कहर ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इस आपदा पर अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान सामने आया है। सपा प्रमुख ने इस तरह की घटनाओं पर गहरी चिंता जतायी है।
इसके साथ ही उन्होंने प्रकृति के कहर से बचने के लिये सभी राजनीतिक दलों के लोगों से हिमालय, नदियों और पहाड़ों के संरक्षण के अपील की है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार सुबह संसद भवन परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए उत्तरकाशी की आपदा पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रकृति के इस कहर को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अखिलेश यादव ने बयान में कहा, “हर साल पहाड़ों में तबाही की खबरें आती हैं, लेकिन कई घटनाएं ऐसी होती हैं जो सामने नहीं आ पातीं। जितने भी पहाड़ी इलाके हैं, वहां लगातार प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही हैं। यह केवल जलवायु परिवर्तन का असर नहीं, बल्कि हमारी विकास नीतियों की भी असफलता का संकेत है।”
"डॉ लोहिया और समाजवादियों ने सबसे पहले नारा दिया था कि हिमालय बचाओ, नदियां बचाओ। हमें उम्मीद है उसी दिशा में हम सबको मिलकर काम करना चाहिए।"
- माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी pic.twitter.com/UDPC1TFSpB
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) August 6, 2025
उन्होंने आगे कहा, “मुझे याद आता है कि डॉ. राम मनोहर लोहिया और समाजवादियों ने सबसे पहले ‘हिमालय बचाओ, नदियां बचाओ’ का नारा दिया था। यह केवल एक नारा नहीं था, बल्कि एक चेतावनी थी – कि अगर हमने प्रकृति का सम्मान नहीं किया, तो प्रकृति भी हमें नहीं बख्शेगी। उन्होंने कहा कि अब वक्त है कि सभी को एक साथ मिलकर इस नारे को आत्मसात करके हिमालय बचाने के लिये आगे आना पड़ेगा’।
प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन जरूरी
अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तराखंड जैसे राज्यों में जिस तरह से अंधाधुंध निर्माण, अवैज्ञानिक खनन और जंगलों की कटाई हो रही है, वह आपदाओं को आमंत्रण दे रही है। उन्होंने सरकारों से अपील की कि पर्यावरणीय संतुलन को प्राथमिकता देते हुए विकास कार्यों की पुनः समीक्षा की जाए।
स्थानीय लोगों की आवाज़ सुनी जाए
उन्होंने यह भी कहा कि पहाड़ों के स्थानीय लोग सालों से पर्यावरण के साथ सामंजस्य बैठाकर जीवन जीते आए हैं। उनके अनुभव और चेतावनियों को अनदेखा करना एक बड़ी भूल है। सरकार को चाहिए कि वह इन समुदायों को नीति-निर्धारण में शामिल करे।
प्रशासनिक जवाबदेही और राहत कार्यों में तेजी की मांग
अखिलेश यादव ने केंद्र और उत्तराखंड सरकार से अपील की कि राहत और बचाव कार्यों में कोई ढिलाई न बरती जाए। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा और पुनर्वास की उचित व्यवस्था तुरंत की जानी चाहिए।