

सोशल मीडिया पर इन दिनों नफरत भरी भाषा का खूब इस्तेमाल हो रहा है और यह ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है। अब इस मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कई बातें कही। पढ़ें पूरी खबर
हेट स्पीच सुप्रीम कोर्ट का बयान
New Delhi: सोशल मीडिया पर इन दिनों नफरत भरी भाषा का खूब इस्तेमाल हो रहा है और यह ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है। इस तरह के मामले कई बार खतरनाक मोड ले लेते हैं। सोशल मीडिया पर हेट स्पीच के इस चलन को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता और कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की।
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर फैल रहे हेट स्पीच (नफरती भाषणों) से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इन दिनों 'अभिव्यक्ति की आजादी' के नाम पर सब कुछ जायज ठहराने की कोशिश हो रही है, यह बेहद खतरनाक है। शीर्ष अदालत ने ऐसे नफरती भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा।
वजहात खान नाम के एक शख्स द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज फ़्रांसिस विस्वनाथन की बेंच ने ऐसे मामलों पर कड़ी टिप्पणी और सख्त चेतावनी दी।
दो जजों की बेंच ने कहा कि सोशल मीडिया पर नफरत भरे भाषणों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है, लेकिन ये भी सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि किसी की भी बोलने की आजादी को कुचला न जाए। कोर्ट ने साफ किया कि 'अभिव्यक्ति की आजादी' के नाम पर सब कुछ जायज नहीं ठहराया जा सकता।
हेट स्पीच क्या है?
हर किसी ने हेट स्पीच (Hate Speech) शब्द जरूर सुना होगा, जिसका मतलब है ऐसा भाषण, बयान, लेख, इशारा या पोस्ट जो किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ नफरत, भेदभाव, हिंसा या दुश्मनी को भड़काता हो। या फिर ऐसा बयान जो किसी को ठेस पहुंचाता है। बता दें कि यह भाषण धर्म, जाति, रंग, नस्ल, लिंग, भाषा, राष्ट्रीयता और किसी अन्य पहचान के आधार पर किया जाता है। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है।
हेट स्पीच के मुख्य लक्षण
1. नफरत फैलाना: किसी समुदाय के खिलाफ लोगों की सोच को नकारात्मक बनाना।
2. भड़काऊ भाषा: हिंसा, आक्रोश या सामाजिक तनाव को बढ़ावा देना।
3. असहिष्णुता बढ़ाना: किसी समूह के अस्तित्व, संस्कृति या विश्वास के खिलाफ प्रचार करना।
4. सोशल मीडिया पर वायरल: आजकल हेट स्पीच सोशल मीडिया के जरिए सबसे तेज़ी से फैलती है।
भारत में हेट स्पीच से जुड़े कानून
भारत में हेट स्पीच को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। जैसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A, धारा 295A और आईटी एक्ट 2000 है।