

भारतीय वायुसेना ने 26 सितंबर 2025 को मिग-21 के आखिरी दो स्क्वाड्रन को रिटायर कर एक युग का अंत किया। अब वायुसेना 5वीं पीढ़ी के सुखोई-57, फ्रांसीसी राफेल-4 और स्वदेशी तेजस विमानों पर अपनी ताकत बढ़ा रही है। अगले दशक में 56 स्क्वाड्रन के लक्ष्य के साथ भारत अपनी हवाई श्रेष्ठता को मजबूत करेगा।
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New Delhi: 26 सितंबर 2025 भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहा, जब सोवियत काल के मिग-21 लड़ाकू जेट्स के आखिरी दो स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया गया। यह विमान 60 वर्षों से भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी रहा है, लेकिन अब वायुसेना के पास कुल 29 स्क्वाड्रन बचे हैं। जबकि पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान लगातार अपनी लड़ाकू ताकत को बढ़ा रहे हैं, भारत को भी अपनी वायुसेना को मजबूत बनाने की तत्काल आवश्यकता है। चीन के J-10 और पाकिस्तान के JF-17 तथा 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के मुकाबले में भारत को अपनी लड़ाकू क्षमता को अपग्रेड करना अनिवार्य हो गया है।
हाल ही में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर चर्चा तेज हुई। अमेरिका ने F-35 लड़ाकू जेट का प्रस्ताव दिया है, वहीं रूस ने अपने अत्याधुनिक सुखोई-57 का ऑफर रखा है। रूस का यह प्रस्ताव खास इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तहत सुखोई-57 के निर्माण का काम भारत के HAL नासिक प्लांट में किया जाएगा। इस तरह भारत न केवल अत्याधुनिक विमान प्राप्त करेगा बल्कि 'मेक इन इंडिया' पहल को भी बल मिलेगा। भारतीय वायुसेना 63 सुखोई-57 विमानों की खरीद पर गंभीरता से विचार कर रही है। ये विमान AESA रडार, एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस होंगे और भविष्य में भारत की एयर डिफेंस क्षमता को नया आयाम देंगे।
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भारतीय वायुसेना ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी से 114 राफेल-4 लड़ाकू जेट्स खरीदने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। डसॉल्ट ने भारत में इन विमानों के निर्माण की पेशकश की है ताकि भारत एक ग्लोबल प्रोडक्शन और मेंटेनेंस हब बन सके। राफेल-4 विमान 4.5वीं पीढ़ी के उन्नत तकनीक वाले विमान होंगे, जो भारत की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे। यह प्रस्ताव भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता को और मजबूती देगा।
मिग-21 की विदाई: भारतीय वायुसेना का ऐतिहासिक विमान रिटायर, तेजस की होगी तैनाती
भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाने वाले सुखोई-30 MKI को भी नई तकनीक से लैस किया जा रहा है। इसमें नए लॉन्ग-रेंज AESA रडार लगाए जाएंगे जो इसकी मारक क्षमता को और बढ़ाएंगे। इसके अलावा, एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों से यह विमान और अधिक खतरनाक बन जाएगा। भविष्य में सुखोई-30 MKI, राफेल और सुखोई-57 मिलकर भारतीय वायुसेना की अजेय तिकड़ी बनेंगे।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 180 LCA तेजस विमानों का ऑर्डर मिला है। इनमें से 83 विमान का कॉन्ट्रैक्ट 2021 में और 97 विमान का 2025 में साइन किया गया। हालांकि अमेरिकी GE-404 इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण अभी डिलिवरी शुरू नहीं हो पाई है। HAL ने हर साल 16 तेजस Mk-1A विमानों की सप्लाई का वादा किया है। साथ ही तेजस Mk-2 के विकास पर भी तेजी से काम चल रहा है। तेजस विमान भारतीय वायुसेना की स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।