सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कंजुरमार्ग “संरक्षित वन” के फैसले पर लगाई रोक, कचरा निस्तारण के रास्ते खुले

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस निर्णय को स्थगित कर दिया है जिसमें मुंबई के कंजुरमार्ग इलाके की 120 हेक्टेयर जमीन को संरक्षित वन घोषित किया गया था। प्रदेश सरकार ने इस निर्णय को गलती बताया और सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राहत देते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 2 August 2025, 9:27 AM IST
google-preferred

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा कंजुरमार्ग इलाके के 120 हेक्टेयर भूमि को संरक्षित वन घोषित करने वाले फैसले पर शुक्रवार को अस्थायी रोक लगा दी। इसका मतलब है कि अब महाराष्ट्र सरकार और ग्रेटर मुंबई नगर पालिका इसे कचरा डालने के निजी सुविधा के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।

“गलती से वन घोषित हुआ था”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि यह भूमि पहले भी कचरा डाले जाने के लिए प्रयोग की जाती थी, और इसे संरक्षित वन घोषित करना एक प्रशासनिक ग़लती थी। बाद में इसे डी-नोटिफाई करने का निर्णय लिया गया, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने उस आदेश को चुनौती दी और वह इसे खारिज करता हुआ इस क्षेत्र को संरक्षित वन घोषित कर दिया।

“तो फिर बताइए, कचरा कहां गिराएंगे?”

सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद के दौरान यह सवाल उठाया कि अगर यह भूमि संरक्षण में है, तो सरकार और नगर निगम कचरे का निस्तारण कहाँ करेंगे? जब एक वरिष्ठ वकील ने जवाब देने में झिझक दिखाई, तो सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से पूछा कि आप बताइए—कचरा कहाँ गिराएँगे? यदि यह जमीन उपयोग के लिए प्रतिबंधित होगी, तो विकल्प क्या है? इस सवाल से स्पष्ट हुआ कि न्यायालय इस समस्या को गंभीरता से देखता है और उचित विकल्प की तलाश चाहता है।

2013 की जनहित याचिका

इस विवाद की जड़ें काफी पुरानी हैं। साल 2013 में “वनशक्ति ट्रस्ट” नामक एक संस्था ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने सरकारी निर्णय को चुनौती दी थी जिसमें कंजुरमार्ग इलाके को संरक्षित वन से डी-नोटिफाई किया गया। उच्च न्यायालय ने सरकार के पक्ष में आदेश दिए थे, लेकिन बाद में पुनः वन घोषित कर दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाकर हाई कोर्ट की दिशा पर सवाल खड़ा कर दिया है।

कंजुरमार्ग क्षेत्र और पर्यावरणीय चिंताएं

कंजुरमार्ग लगभग 120 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार वाला इलाका है, जो पहले खुला और अविकसित था। हालांकि नगर निगम इस क्षेत्र को कचरा निस्तारण के लिए पहले से उपयोग कर रहा था। उच्च न्यायालय की ओर से इसे संरक्षित वन घोषित किए जाने पर स्थानीय सामाजिक संगठन और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई थी, क्योंकि वन संरक्षण और प्रकृति की रक्षा उन्हें प्राथमिकता लगती है।

सुप्रीम कोर्ट का पर्यावरण और प्रशासन के बीच संतुलन

सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश से संकेत दिया कि पर्यावरण संरक्षण और नागरिक सुविधा के बीच संतुलन बनाना ज़रूरी है। कोर्ट ने माना कि यह मामला सिर्फ एक भू-क्षेत्र की पहचान का नहीं है, बल्कि सार्वजनिक सुविधा, स्वच्छता प्रबंधन और कानूनी प्रक्रिया का भी मसला है।

Location : 
  • 337675, 337684, 337693

Published : 
  • 2 August 2025, 9:27 AM IST

Related News

No related posts found.