जले कैश केस में बड़ा ट्विस्ट: जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दी कमेटी को चुनौती

सरकारी आवास से जला कैश मिलने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्होंने लोकसभा स्पीकर द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी को अवैध बताया। SC ने लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी कर 7 जनवरी तक जवाब मांगा है।

Updated : 16 December 2025, 2:05 PM IST
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New Delhi: सरकारी आवास से जला हुआ कैश मिलने के मामले में बड़ा संवैधानिक मोड़ आ गया है। इस प्रकरण से जुड़े जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और लोकसभा स्पीकर द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन को चुनौती दी है। जस्टिस वर्मा ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में ‘X’ के नाम से याचिका दाखिल की है।

तीन सदस्यीय समिति पर सवाल

याचिका में कहा गया है कि लोकसभा स्पीकर द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी पूरी तरह अवैध है और संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। जस्टिस वर्मा का तर्क है कि ऐसी किसी भी संयुक्त समिति का गठन तभी किया जा सकता है, जब लोकसभा और राज्यसभा- दोनों सदन किसी प्रस्ताव को पारित करें। मौजूदा मामले में केवल लोकसभा ने प्रस्ताव पारित किया है, जबकि राज्यसभा में इस संबंध में मोशन अभी लंबित है।

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इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभिक रूप से विचार करने पर सहमति जताई है। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने लोकसभा सचिवालय और राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दोनों सदनों के सचिवालय को सात जनवरी तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना दोनों सदनों की मंजूरी के गठित कोई भी समिति संवैधानिक रूप से वैध नहीं मानी जा सकती। उन्होंने दलील दी कि संसदीय जांच समितियों से जुड़े नियम और प्रक्रियाएं स्पष्ट हैं और उनका पालन अनिवार्य है।

Justice Yashwant Varma

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

SC ने लोकसभा-राज्यसभा सचिवालय को भेजा नोटिस

इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस दीपांकर दत्ता ने भी कड़ी मौखिक टिप्पणी की। नोटिस जारी करते हुए उन्होंने कहा, "क्या कानून बनाने वालों को यह भी नहीं पता कि ऐसा नहीं किया जा सकता?" अदालत की यह टिप्पणी पूरे मामले की गंभीरता को दर्शाती है।

सरकारी आवास से जला हुआ कैश मिलने का मामला पहले ही राजनीतिक और संवैधानिक बहस का विषय बन चुका है। लोकसभा स्पीकर द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी की वैधता पर अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सवाल उठ गया है। अदालत के नोटिस के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इस जांच समिति के गठन की संवैधानिक प्रक्रिया की गहन समीक्षा की जाएगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह जनवरी में इस मामले की विस्तार से सुनवाई करेगा। तब तक लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को अपने-अपने पक्ष में जवाब दाखिल करना होगा। यह मामला न केवल संसदीय प्रक्रियाओं की वैधता से जुड़ा है, बल्कि यह भी तय करेगा कि भविष्य में इस तरह की समितियों का गठन किस संवैधानिक ढांचे के तहत किया जाएगा।

राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों की नजर अब जनवरी में होने वाली सुनवाई पर टिकी है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसद की कार्यप्रणाली और संसदीय समितियों की सीमाओं को लेकर अहम दिशा तय कर सकता है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 16 December 2025, 2:05 PM IST