

संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 को लेकर सियासी बवाल चरम पर है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए इस बिल का उद्देश्य प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिन से अधिक हिरासत में रहने पर पद से हटाना है। इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने तीव्र विरोध जताया और इसे असंवैधानिक करार देते हुए जमकर हंगामा किया। अब इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया है।
कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर (फोटो सोर्स गूगल)
New Delhi: संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 को लेकर सियासी बवाल चरम पर है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए इस बिल का उद्देश्य प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिन से अधिक हिरासत में रहने पर पद से हटाना है। इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने तीव्र विरोध जताया और इसे असंवैधानिक करार देते हुए जमकर हंगामा किया। अब इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया है।
कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर ने इस विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने इसे अभी पूरी तरह से नहीं पढ़ा है, लेकिन प्रारंभिक तौर पर उन्हें इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा। उन्होंने कहा, "अगर कोई व्यक्ति 30 दिन जेल में बिताता है, तो क्या वह मंत्री बना रह सकता है? यह तो साधारण समझ की बात है। ऐसे में अगर मंत्री पद से इस्तीफा देने का प्रावधान है, तो वह गलत नहीं कहा जा सकता।" हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर इस विधेयक के पीछे कोई छिपी मंशा है, तो इसकी पूरी तरह से समीक्षा जरूरी है। बिना विधेयक का अध्ययन किए वे न तो इसका समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध।
विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने के सवाल पर थरूर ने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। उनका मानना है कि किसी भी महत्वपूर्ण विधेयक पर विस्तृत चर्चा होना जरूरी है और JPC के माध्यम से विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार किया जा सकता है।
विपक्षी दलों ने विधेयक को लेकर आक्रामक रुख अपनाया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे कठोर और असंवैधानिक करार देते हुए कहा, "आप किसी भी मुख्यमंत्री पर झूठा मुकदमा दर्ज कर सकते हैं, उन्हें बिना दोषसिद्धि के 30 दिन जेल में रख सकते हैं और फिर उन्हें पद से हटा सकते हैं? यह सीधे तौर पर संविधान के खिलाफ है।"
बिल पेश होने के बाद लोकसभा में काफी हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने बिल की प्रतियां फाड़कर अमित शाह की ओर फेंकीं और सदन की कार्यवाही बाधित की।
यह प्रस्तावित संशोधन भारत के संविधान में एक महत्वपूर्ण बदलाव की बात करता है। इसके अनुसार:
यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी आपराधिक मामले में लगातार 30 दिन हिरासत में रहता है,
तो 31वें दिन उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा,
या संवैधानिक रूप से उसे पद से हटा दिया जाएगा।
इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 75 (प्रधानमंत्री), 164 (मुख्यमंत्री) और 239AA (दिल्ली के मुख्यमंत्री) में संशोधन का प्रस्ताव है।