

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जमीन सौदे में कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दाखिल की है। स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी से जुड़ी 37.64 करोड़ की संपत्तियां कुर्क की गई हैं। जानिए इस केस का पूरा इतिहास, ईडी की कार्रवाई और आगे क्या हो सकता है।
रॉबर्ट वाड्रा की बढ़ी मुश्किलें
New Delhi: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जमीन सौदे से जुड़े कथित धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के एक मामले में बड़ा कदम उठाते हुए चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर की गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, जिसमें वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड समेत 11 अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है। ईडी ने इस कंपनी की 37.64 करोड़ रुपये मूल्य की 43 अचल संपत्तियां पहले ही कुर्क कर ली हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर इलाके में जमीन के लेनदेन से जुड़ा है। आरोप है कि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज द्वारा बेची गई जमीन का म्यूटेशन (स्वामित्व परिवर्तन) वाड्रा की कंपनी के नाम एक ही दिन में कर दिया गया और अगले ही दिन उसे वाड्रा की कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया। आमतौर पर यह प्रक्रिया 90 दिन का समय लेती है। इसके बाद जून 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने यह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दी, जिससे जमीन की कीमत में कथित तौर पर 773% का अप्रत्याशित उछाल आया।
हुड्डा सरकार की भूमिका पर सवाल
उस समय हरियाणा में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार थी, जिसने वाड्रा की कंपनी को कमर्शियल कॉलोनी के तौर पर विकास की अनुमति दी और बाद में उसी लाइसेंस को डीएलएफ को ट्रांसफर कर दिया गया। आरोप है कि सरकार की मदद से जमीन की कीमत कई गुना बढ़ गई।
मामले का खुलासा कैसे हुआ?
2012 में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने जब इस लेनदेन की जांच की, तो उन्होंने जमीन के म्यूटेशन को रद्द कर दिया। लेकिन इसके तुरंत बाद उन्हें ट्रांसफर कर दिया गया। खेमका की इस कार्रवाई के बाद विवाद गहरा गया और जांच के लिए राज्य सरकार ने पैनल गठित किया। जिसने बाद में वाड्रा और डीएलएफ को क्लीन चिट दे दी।
भाजपा सरकार की कार्रवाई
2014 में भाजपा की खट्टर सरकार ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग गठित किया, जिसने 2016 में 182 पेज की रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद हरियाणा पुलिस ने 2018 में एफआईआर दर्ज की और 1 सितंबर 2018 को ईडी ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली।
ईडी का आरोप
ईडी का आरोप है कि रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने झूठी घोषणाओं और गैर-कानूनी तरीकों से जमीन की खरीद-बिक्री की, जिससे धनशोधन हुआ।
ईडी ने संपत्तियां क्यों कुर्क कीं?
ईडी ने पीएमएलए की धारा 5 के तहत संपत्तियों को कुर्क किया है। यह तब किया जाता है जब एजेंसी को आशंका हो कि अपराध से अर्जित संपत्ति को बेचा, छिपाया या हस्तांतरित किया जा सकता है। कुर्की का आदेश 180 दिन तक वैध रहता है और इसे न्यायिक प्राधिकरण की पुष्टि की आवश्यकता होती है। अगर पुष्टि नहीं हुई तो संपत्ति स्वतः मुक्त हो जाती है।
क्या कहती है कांग्रेस?
चार्जशीट दायर होने के बाद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि रॉबर्ट वाड्रा को राजनीतिक बदले की भावना से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंत में जीत सच्चाई की ही होगी।