

वजीराबाद में यमुना का जलस्तर बढ़ने से पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। घरों में पानी भरने और भारी बारिश के कारण वे खुले आसमान तले शरण लेने को मजबूर हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है।
वजीराबाद में यमुना का बढ़ता जलस्तर
New Delhi: वजीराबाद क्षेत्र में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। घरों में पानी घुसने से हजारों लोग खुले आसमान तले शरण लेने को मजबूर हैं। शरणार्थियों का कहना है कि प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की, और न ही उन्हें शरण लेने के लिए टेंट या बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गईं। भारी बारिश ने उनकी समस्याओं को और बढ़ा दिया है, जिससे वे न केवल अपने घरों को खोने के डर से परेशान हैं, बल्कि भूख और बीमारी से भी जूझ रहे हैं।
वजीराबाद में रहने वाले पाकिस्तान से आए शरणार्थी राहुल सिंह ने बताया कि उनके घरों में पानी भर गया है और प्रशासन की ओर से कोई राहत नहीं मिल रही है। "न तो हमें टेंट दिए गए हैं, न ही खानपान की व्यवस्था की गई है," राहुल ने बताया। उन्होंने यह भी बताया कि बारिश के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं और खाने-पीने के साधन भी उपलब्ध नहीं हैं। शरणार्थियों का कहना है कि उन्हें अपने आशियाने को बचाने के लिए रातभर जागना पड़ता है। घरों के अंदर पानी भरने और कीचड़ के कारण उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं। इस दौरान, वे खुले आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर हैं, जहां न तो किसी प्रकार की सुरक्षा है और न ही कोई बुनियादी सुविधाएं।
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वहीं, भारी बारिश ने शरणार्थियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सड़कें कीचड़ से भर चुकी हैं और पानी के साथ-साथ ठंड भी शरणार्थियों के लिए एक और समस्या बन गई है। इन परिवारों को अपने घरों में पानी भरने के कारण अपनी संपत्ति खोने का डर सता रहा है, और उनका मुख्य ध्यान अब सिर्फ घरों को बचाने पर केंद्रित हो गया है। शरणार्थी परिवारों का कहना है कि वे पाकिस्तान से शरण लेने के लिए भारत आए थे, लेकिन अब वे खुद विस्थापित हो गए हैं। "हमने यहां शरण तो ली, लेकिन अब हम खुद शरणार्थी बन गए हैं," एक अन्य शरणार्थी ने बताया। उन्हें उम्मीद थी कि प्रशासन इस संकट के समय में उनकी मदद करेगा, लेकिन अब तक कोई भी राहत नहीं दी गई है।
वजीराबाद में यमुना का बढ़ता जलस्तर
इस बीच, केंद्रीय जल आयोग ने एक चेतावनी जारी की है कि दिल्ली में यमुना का जलस्तर और बढ़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, यमुना का जलस्तर 208 मीटर तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल की बाढ़ के समान स्थिति उत्पन्न कर सकता है। यदि ऐसा होता है, तो आउटर रिंग रोड और कश्मीरी गेट आईएसबीटी तक पानी पहुंच सकता है, जिससे दिल्ली में यातायात और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति से दिल्ली में बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो सकता है और कई इलाकों में आवागमन बाधित हो सकता है। इससे न केवल वजीराबाद, बल्कि दिल्ली के कई अन्य हिस्से भी प्रभावित हो सकते हैं।
दिल्ली में बुधवार को यमुना के जलस्तर में जो बढ़ोतरी हुई, वह हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए सीजन के पीक डिस्चार्ज 3.29 लाख क्यूसेक का असर था। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही तेज बारिश के कारण, हथिनीकुंड बैराज से सोमवार से बुधवार तक हर घंटे लगभग 1.5-2 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इससे यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, और इस बढ़ोतरी के कारण वजीराबाद क्षेत्र के आसपास स्थित शरणार्थी बस्तियों में जलभराव की समस्या और अधिक बढ़ गई है।
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यमुना के जलस्तर में वृद्धि के साथ ही, पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए समस्याएं और गंभीर हो गई हैं। इन शरणार्थियों का कहना है कि भारी बारिश के कारण घरों में पानी भरने और बाढ़ के खतरे से वे और अधिक परेशान हो गए हैं। इस संकट के समय में प्रशासन की ओर से कोई मदद न मिलने के कारण वे बहुत ही भयभीत और परेशान हैं।