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Statue of Unity के शिल्पकार और पद्म भूषण से सम्मानित महान मूर्तिकार राम वनजी सुतार का 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और छत्रपति शिवाजी सहित कई ऐतिहासिक प्रतिमाओं का निर्माण किया।
शिल्पकार राम वनजी सुतार का निधन (Img Source: Google)
New Delhi: भारत के कला जगत के लिए एक युग का अंत हो गया है। विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के शिल्पकार और देश के जाने-माने मूर्तिकार राम वनजी सुतार का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार देर रात नोएडा स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे राम सुतार ने शांतिपूर्वक दुनिया को अलविदा कहा। उनके निधन की जानकारी उनके बेटे अनिल सुतार ने गुरुवार को मीडिया को दी।
राम वनजी सुतार को भारत के सबसे प्रतिष्ठित मूर्तिकारों में गिना जाता था। उनका करियर छह दशकों से भी अधिक समय तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने देश के कई महान नेताओं और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की प्रतिमाएं गढ़ीं। उनकी कला में यथार्थ, भाव और भव्यता का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है।
उन्होंने महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी महान विभूतियों की मूर्तियां बनाईं, जो आज देश-विदेश में सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक हैं।
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राम सुतार की बनाई संसद भवन परिसर में स्थापित महात्मा गांधी की ध्यानमग्न मुद्रा वाली प्रतिमा और घोड़े पर सवार छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य मूर्ति उनकी कालजयी कृतियों में शामिल हैं। इन मूर्तियों को न सिर्फ कला की दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और राष्ट्रीय महत्व के कारण भी विशेष स्थान प्राप्त है।
राम सुतार को अंतरराष्ट्रीय पहचान 182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से मिली, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह स्मारक भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। इस ऐतिहासिक परियोजना के जरिए राम सुतार ने भारतीय कला, संस्कृति और नेतृत्व को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई।
सरकार ने राम वनजी सुतार की कला साधना को कई बड़े सम्मानों से नवाजा। उन्हें वर्ष 1999 में पद्म श्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें महाराष्ट्र सरकार का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार’ भी मिला। वे मुंबई के प्रसिद्ध जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से स्वर्ण पदक विजेता भी रहे।
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राम सुतार का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंदूर गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें मूर्तिकला में गहरी रुचि थी। अपने हुनर, परिश्रम और समर्पण के दम पर उन्होंने भारतीय कला जगत में अमिट छाप छोड़ी।
राम वनजी सुतार भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बनाई प्रतिमाएं और उनकी कला आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।
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