

संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा गरमा गई है। विपक्ष ने पीएम मोदी की गैरमौजूदगी को अपमान बताया, तो गृहमंत्री अमित शाह ने तीखा जवाब देते हुए कहा—”मुझसे निपट लो, पीएम को क्यों बुला रहे हो?” शाह की हुंकार और विपक्ष के वॉकआउट ने सत्र को राजनीतिक रणभूमि बना दिया।
गृह मंत्री अमित शाह (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: संसद का मानसून सत्र इस बार चर्चा से ज़्यादा टकराव और तल्ख़ बयानबाज़ी का केंद्र बन गया है। बुधवार को राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बहस के दौरान माहौल और भी गरमा गया, जब गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष आमने-सामने आ गए।
सूत्रों के अनुसार, जैसे ही अमित शाह ने राज्यसभा में सरकार का पक्ष रखना शुरू किया, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी की अनुपस्थिति को लेकर तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री का सदन में उपस्थित न रहना संसद का अपमान है।” इस पर अमित शाह ने जवाबी वार करते हुए कहा, “मुझसे निपट लो, क्यों प्रधानमंत्री को बुला रहे हो।”
विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा था कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील मसले पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए। जैसे ही शाह ने अपना भाषण शुरू किया, विपक्षी सांसदों ने नारेबाज़ी करते हुए संसद में हंगामा शुरू कर दिया। अमित शाह ने भाषण बीच में रोककर अपनी सीट ले ली, जिसके बाद खरगे ने फिर प्रधानमंत्री को घेरते हुए कहा, "अगर पीएम सदन में नहीं आ रहे हैं, तो यह लोकतंत्र का अपमान है।" बात यहीं नहीं रुकी। हंगामे के बीच विपक्ष ने संसद से वॉकआउट कर दिया, जिससे सत्र और अधिक तनावपूर्ण हो गया।
अपने संबोधन में अमित शाह ने हालिया सुरक्षा कार्रवाई ‘ऑपरेशन महादेव’ का ज़िक्र किया, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले से जुड़े तीन आतंकियों को मार गिराया गया था। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "कल कांग्रेस सवाल कर रही थी कि उन्हें आज क्यों मारा गया? क्या इसलिए कि राहुल गांधी को भाषण देना था?"
शाह ने कहा कि कांग्रेस की प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा या आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई नहीं, बल्कि केवल राजनीतिक स्कोरिंग और तुष्टिकरण की राजनीति है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अपने ही नेता (मल्लिकार्जुन खरगे) को बोलने नहीं देती और सरकार से सवाल करती है।
गृह मंत्री ने बताया कि बिजनेस एडवाइजरी कमिटी (BAC) की बैठक में तय हुआ था कि दोनों सदनों में 16-16 घंटे चर्चा होगी। लेकिन यह तय करना कि जवाब कौन देगा—सरकार और प्रधानमंत्री का अधिकार है, विपक्ष का नहीं।