

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 80 के प्रावधानों के तहत चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इन नामित सदस्यों में वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और समाजसेवी व शिक्षाविद सी. सदानंदन मास्टर शामिल हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
New Delhi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) और खंड (3) के तहत राज्यसभा के लिए चार नए सदस्यों को मनोनीत किया है। जिन विशिष्ट व्यक्तियों को इस उच्च सदन की सदस्यता सौंपी गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक वे वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल देवराव निकम, समाजसेवी एवं शिक्षाविद सी. सदानंदन मास्टे, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और प्रख्यात इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन हैं।
1. उज्ज्वल देवराव निकम: न्याय के सशक्त प्रहरी
वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम देश के सबसे चर्चित आपराधिक मामलों में अभियोजन पक्ष का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्होंने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के दोषी अजमल कसाब को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके पास 35 साल से अधिक का अनुभव है और वह 1993 मुंबई बम ब्लास्ट, प्रभा श्रीनीवास हत्याकांड, मनोज बिसारिया केस जैसे दर्जनों हाई-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। उनकी कानूनी विशेषज्ञता और पेशेवर निष्ठा के लिए उन्हें पूरे देश में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
2. सी. सदानंदन मास्टे: शिक्षा और समाजसेवा के समर्पित कार्यकर्ता
केरल से ताल्लुक रखने वाले सी. सदानंदन मास्टे एक जाने-माने समाजसेवी और शिक्षाविद हैं। उन्होंने ग्रामीण शिक्षा, बाल कल्याण और वंचित समुदायों के सशक्तिकरण के लिए कई दशकों तक काम किया है। मास्टे ने अपने प्रयासों से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया, बल्कि कई सामाजिक सुधार अभियानों का भी नेतृत्व किया। उनके योगदान को समाज में गहराई से महसूस किया जाता है।
3. हर्षवर्धन श्रृंगला: भारतीय कूटनीति के अनुभवी रणनीतिकार
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का नाम भारतीय विदेश नीति के क्षेत्र में अग्रणी चेहरों में शुमार है। अपने तीन दशक से अधिक लंबे राजनयिक करियर में उन्होंने अमेरिका, बांग्लादेश, थाईलैंड जैसे कई अहम देशों में भारत के राजदूत के रूप में सेवाएं दीं। 2020 में भारत के विदेश सचिव बनने के बाद उन्होंने कोविड-19 वैश्विक संकट के दौरान वैक्सीन डिप्लोमेसी, क्वाड और भारत की वैश्विक भूमिका को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
4. डॉ. मीनाक्षी जैन: इतिहास और संस्कृति की शोधपरक व्याख्याकार
डॉ. मीनाक्षी जैन एक जानी-मानी इतिहासकार और शिक्षाविद हैं, जिन्होंने भारतीय इतिहास, संस्कृति और समाज पर आधारित कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और शोध-कार्य किए हैं। वे पूर्व में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुकी हैं और उनकी पुस्तकें जैसे "Sati: Evangelicals, Baptist Missionaries and the Changing Colonial Discourse" और "The Battle for Rama" इतिहास के विमर्श में एक नई दृष्टि प्रस्तुत करती हैं। उन्हें भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के अध्ययन हेतु विशेष रूप से जाना जाता है।
संविधान का आधार और नामांकन की परंपरा
संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) और खंड (3) के अनुसार, राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वे राज्यसभा में 12 सदस्यों को नामित करें, जो साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष योगदान दे चुके हों। वर्तमान में जो चार पद खाली हुए थे, वे पूर्व मनोनीत सदस्यों के कार्यकाल पूरा होने के बाद रिक्त हुए थे।
राज्यसभा को मिलेगा अनुभवी नेतृत्व
इन चारों नामों के चयन से यह स्पष्ट है कि राज्यसभा में अब कानून, कूटनीति, शिक्षा, इतिहास और समाजसेवा जैसे विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों की उपस्थिति बढ़ेगी। इससे न केवल संसद की कार्यवाही को व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा। बल्कि राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण में जमीनी अनुभव और विषयगत विशेषज्ञता का प्रभाव भी परिलक्षित होगा।