

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में पेश किए गए तीन नए विधेयकों ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने इन प्रस्तावित कानूनों को न केवल असंवैधानिक बताया, बल्कि उन्हें लोकतंत्र और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। जानिए क्या है पूरा विवाद और सरकार का पक्ष।
पी. चिदंबरम और अमित शाह (Img: Google)
New Delhi: संसद के मानसून सत्र में बुधवार (20 अगस्त 2025) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन विधेयकों ने सियासी बहस को नया मोड़ दे दिया है। विपक्ष ने इन प्रस्तावों को लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है। गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम ने विधेयकों को "असाधारण" और "स्पष्ट रूप से असंवैधानिक" करार दिया।
पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए सवाल उठाया कि अगर कोई मुख्यमंत्री केवल गिरफ्तारी के आधार पर 30 दिनों के भीतर जमानत नहीं पाता है, तो क्या वह अपने पद से हटा दिया जाएगा? उन्होंने कहा कि “यह कानूनी व्यवस्था का सबसे अजीब और खतरनाक प्रस्ताव है। कोई मुकदमा नहीं, कोई दोष सिद्ध नहीं, सिर्फ गिरफ्तारी और सरकार गिर सकती है।”
चिदंबरम ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में निचली अदालतें ज़मानत देने में संकोच करती हैं और हाई कोर्ट तक पहुंचने में हफ्तों लग जाते हैं। ऐसे में क्या कोई चुनी हुई सरकार केवल एक गिरफ्तारी के आधार पर अस्थिर हो सकती है? उन्होंने इसे पूरी तरह संविधान, लोकतंत्र और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया।
क्या कहती है सरकार?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए कहा कि इसका मकसद राजनीति में गिरते नैतिक मानकों को सुधारना और ईमानदारी को बनाए रखना है। शाह ने साफ किया कि इस कानून का उद्देश्य उन नेताओं को जिम्मेदार बनाना है जो किसी आपराधिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं, फिर भी संवैधानिक पदों पर बने रहते हैं।
विधेयकों को विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा में पेश किया गया और बाद में उन्हें संयुक्त समिति के पास भेजा गया, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे।
विपक्ष की चिंता
कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को केंद्र की ओर से राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करार दिया है। विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक "राजनीतिक हथियार" बन जाएगा और इसका इस्तेमाल विरोधी दलों की सरकारों को गिराने के लिए किया जा सकता है।
चिदंबरम ने स्पष्ट कहा कि अगर किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी बिना दोष सिद्ध हुए होती है और उसे 30 दिन में ज़मानत नहीं मिलती, तो उस सरकार का गिर जाना पूरी तरह लोकतंत्र के खिलाफ होगा।