लोकसभा में पीएम मोदी ने कांग्रेस के गड़े मुर्दे उखाड़े, नेहरू से लेकर राहुल तक की खोली पोल, पढ़ें आज की सबसे बड़ी राजनीतिक खबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संबोधन एक तरह से कांग्रेस के ऐतिहासिक कूटनीतिक निर्णयों की समीक्षा था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आज का भारत अब उन भूलों को दोहराने वाला नहीं है। भारत अब आत्मविश्वास से भरा हुआ राष्ट्र है, जो अपनी सीमाओं, संसाधनों और नागरिकों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 30 July 2025, 12:31 AM IST
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New Delhi: लोकसभा में मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चल रही चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने विपक्ष खासकर कांग्रेस नेताओं द्वारा विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कांग्रेस की ऐतिहासिक कूटनीतिक और रणनीतिक भूलों की लंबी सूची पेश की।

कांग्रेस को जमकर लपेटा

प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस की सरकारों पर राष्ट्रीय हितों से समझौता करने, पाकिस्तान और चीन के सामने झुकने और भारत की सामरिक बढ़त को खोने का आरोप लगाया। उन्होंने पीओके, अक्साई चीन, करतारपुर साहिब, सिंधु जल संधि और कच्छ के रण जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की विफलताओं को उजागर करते हुए कहा कि “लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई।”

कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया

प्रधानमंत्री ने कहा, “कांग्रेस हमारी विदेश नीति पर सवाल उठा रही है तो मैं उनके ऐतिहासिक कूटनीतिक निर्णयों की बात करना चाहता हूं। इन फैसलों ने न केवल भारत की रणनीतिक स्थिति को कमजोर किया, बल्कि दशकों तक देश को परेशानियों में डाले रखा।”

कांग्रेस सरकार ने 1971 में की यह गलती

नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, "उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) पर चर्चा करते हुए कहा कि 1971 की जंग के बाद भारत के पास पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिक बंदी थे और हजारों वर्ग किलोमीटर भूमि भारतीय सेना के नियंत्रण में थी। तब पीओके को वापस लेना बेहद आसान था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने यह मौका गंवा दिया। यहां तक कि करतारपुर साहिब को भी वापस नहीं लिया गया।”

अक्साई चिन और सिंधु जल संधि को बताया ‘ऐतिहासिक भूल’

प्रधानमंत्री ने अक्साई चिन पर भी कांग्रेस को घेरा और कहा कि पंडित नेहरू ने इसे बंजर भूमि बताकर चीन को सौंप दिया। इस पर मोदी ने कहा, “जिन्हें भारत की ज़मीन बंजर दिखती है, वे देश की रक्षा क्या करेंगे?” सिंधु जल संधि को लेकर पीएम ने नेहरू पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, “भारत की नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को सौंप देना नेहरू की सबसे बड़ी भूल थी। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और पंजाब जैसे राज्यों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इतना ही नहीं, भारत ने पाकिस्तान को नहर बनाने के लिए पैसे भी दिए।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस गलती को सुधारने की कभी कोशिश नहीं की। जबकि एनडीए सरकार ने साफ कर दिया है, “खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।’ जब तक पाकिस्तान आतंकवाद बंद नहीं करता, सिंधु जल संधि को लागू नहीं किया जाएगा।”

कच्छ के रण और कच्चातिवु द्वीप का जिक्र कर फिर घेरा कांग्रेस

पीएम मोदी ने कच्छ के रण का जिक्र करते हुए कहा कि 1966 में कांग्रेस सरकार पाकिस्तान के दबाव में लगभग 800 किलोमीटर जमीन छोड़ने के लिए तैयार हो गई थी। उन्होंने कच्चातिवु द्वीप के मुद्दे पर कहा कि 1974 में श्रीलंका को यह द्वीप उपहार में दे दिया गया, जिसके कारण आज तक भारतीय मछुआरों को मुश्किलें होती हैं और कई बार उनकी जान पर बन आती है।

जल प्रबंधन में नेहरू की कथित चूक पर गंभीर आरोप

प्रधानमंत्री ने खुलासा किया कि नेहरू के शासनकाल में पाकिस्तान के साथ हुए एक समझौते में यह शर्त रखी गई थी कि भारत अपने बांधों में जमी हुई मिट्टी की सफाई नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “जब मैंने इसका अध्ययन किया तो पता चला कि एक बांध के गेट वेल्डिंग से बंद कर दिए गए ताकि गलती से भी उन्हें खोला न जा सके। क्या ऐसी भी कोई कूटनीति होती है?”

‘पीएम पर सवाल करने वाले, पहले खुद जवाब दें’

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष खासकर राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा, “वे मुझसे पूछते हैं कि पीओके क्यों नहीं लिया गया। मैं पूछता हूं- किसकी सरकार ने अवसर रहते पीओके वापस नहीं लिया? किसने करतारपुर को गंवाया? इसका जवाब पहले वे खुद दें। जो सवाल कर रहे हैं, जवाबदेही उनकी भी बनती है।”

नेहरू पर फिर से तीखा हमला

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का नाम कई बार लिया और कहा, “जब भी मैं नेहरू जी का नाम लेता हूं, कांग्रेस का इकोसिस्टम बिलबिला जाता है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर देश की ऐसी दुर्दशा क्यों हुई? आज़ादी के बाद लिए गए कुछ फैसले आज भी देश पर भारी पड़ रहे हैं।”

विपक्ष की आलोचना को बताया ‘सेना का मनोबल गिराने की साजिश’

पीएम मोदी ने कांग्रेस नेताओं के ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए गए सवालों को सेना के मनोबल को तोड़ने वाला बताया। उन्होंने कहा, “जो लोग ऑपरेशन पर सवाल उठा रहे हैं वे हमारे वीर जवानों के साहस और बलिदान का अपमान कर रहे हैं। सरकार ने सेना को पूरी आज़ादी दी और सेना ने 22 अप्रैल के आतंकी हमले का करारा जवाब दिया।”

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  • New Delhi

Published : 
  • 30 July 2025, 12:31 AM IST