

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दे दी गई। इस बिल के तहत ऑनलाइन सट्टेबाजी को अपराध माना जाएगा और उस पर सजा का प्रावधान होगा। सरकार का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में पारदर्शिता लाना और धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकना है।
ऑनलाइन गेम खेलते हुए पीएम मोदी (File Photo)
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दे दी गई है। इस बिल के जरिए भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए पर कड़ी पाबंदी लगाई जाएगी। इसके अंतर्गत ऑनलाइन गेमिंग को एक वैध क्षेत्र के रूप में रेगुलेट किया जाएगा और उन कंपनियों को निगरानी में रखा जाएगा जो इस क्षेत्र में काम करती हैं। इस बिल को बुधवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
युवाओं का ऑनलाइन गेमिंग पर जोर
केंद्र सरकार का कहना है कि यह कदम हाल के महीनों में बढ़ते ऑनलाइन धोखाधड़ी मामलों और युवाओं की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए उठाया गया है, जिन्होंने इन गेमिंग ऐप्स पर अपना पैसा गंवाया है। सरकार की प्राथमिकता अब इन ऐप्स और उनके प्रमोटर्स पर सख्ती से कार्रवाई करना है।
क्या है इस नए ऑनलाइन गेमिंग बिल में?
इस नए कानून के तहत अब ऑनलाइन सट्टेबाजी को एक अपराध माना जाएगा और उस पर कड़ी सजा का प्रावधान होगा। ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट किया जाएगा, जिससे गेमिंग इंडस्ट्री में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाई जा सके। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऑनलाइन बेटिंग और जुआ से जुड़े ऐप्स के साथ वेबसाइट्स को चलाना अब एक गैरकानूनी गतिविधि माना जाएगा। इसके लिए दोषियों को 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है।
क्या बदलाव आएंगे?
अब किसी भी सेलिब्रिटी या सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को इन जुआ और बेटिंग ऐप्स का प्रचार करने की अनुमति नहीं होगी। सरकार को अब अधिकार होगा कि वह बिना पंजीकरण वाले प्लेटफॉर्म्स और विदेशी ऐप्स को भी टैक्स दायरे में लाए और इन्हें ब्लॉक कर सके। इस बिल के तहत सरकार जुए और सट्टेबाजी से जुड़े किसी भी ऐप्स और वेबसाइट्स को बंद करने का अधिकार भी रखेगी, यदि वह नियमों का उल्लंघन करते हैं।
ऑनलाइन धोखाधड़ी पर एक्शन की तैयारी
हाल के दिनों में ऑनलाइन धोखाधड़ी और सट्टेबाजी के मामलों में वृद्धि हुई है। कई युवाओं ने इन गेमिंग ऐप्स पर अनावश्यक रूप से अपने पैसे गंवाए हैं, खासकर जब ऐप्स उन्हें नकली पुरस्कारों का लालच देते हैं। सरकार का उद्देश्य इस कदम से इन धोखाधड़ी करने वाले ऐप्स और कंपनियों को नियंत्रित करना है।
फिल्मी सितारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पर भी होगा एक्शन
इस कानून के आने के बाद जांच एजेंसियां उन फिल्मी सितारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पर भी नजर रख रही हैं, जो इन ऐप्स का प्रचार करते हैं। इससे पहले कई मशहूर हस्तियां इन ऐप्स को बढ़ावा देती नजर आई थी, जिसके बाद इस पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की गई।