

पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में मानसून ने फिर से अपनी पूरी ताकत से कहर मचाया है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। देहरादून और कांगड़ा जिलों में सैकड़ों लोग प्रभावित हैं, जबकि सैलानियों के फंसे होने की स्थिति ने और भी परेशानी पैदा कर दी है।
मानसून ने मचाई तबाही
Shimla/Nainital: मानसून ने इस बार हिमालयी राज्यों में कहर बरपाया है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस समय दोनों राज्यों में आपातकालीन स्थिति बनी हुई है, और राहत कार्यों में सरकारी एजेंसियां जुटी हुई हैं।
हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन में अब तक भारी बारिश से 1,500 से अधिक घर पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। बुधवार को कांगड़ा जिले में दस कच्चे मकान पूरी तरह से ढह गए और लगभग 50 अन्य घरों को भी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, राज्य में 64 गोशालाओं, एक दुकान और अन्य सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान हुआ है। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण सड़क नेटवर्क भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिसके कारण 517 सड़कों पर यातायात बाधित हो गया है। प्रदेश में अब तक 417 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि 45 लोग अब भी लापता हैं।
मानसून ने मचाई तबाही
उत्तराखंड में देहरादून के पास भारी बारिश के कारण बादल फटने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। देहरादून-मसूरी मार्ग कई स्थानों पर टूट चुका है, जिससे सैलानियों के लिए आवागमन मुश्किल हो गया है। देहरादून और मसूरी के बीच 2,500 से अधिक सैलानी फंसे हुए हैं। इस मार्ग को बहाल करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है। प्रशासन ने हल्के वाहनों के लिए कोल्हूखेत में एक वैकल्पिक बेली ब्रिज बनाने की योजना बनाई है, जो जल्द ही चालू होने की उम्मीद है। देहरादून में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 23 लोग लापता हैं।
मौसम विभाग ने 19 सितंबर तक प. बंगाल के उप-हिमालयी जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है। दार्जीलिंग, कलिमपोंग, जलपाईगुड़ी, कूच बिहार और अलीपुरद्वार जिलों में अधिक बारिश की संभावना है। इसके अलावा, राज्य के दक्षिण हिस्से के कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ गरज और बिजली गिरने की चेतावनी दी गई है। मौसम विभाग के अनुसार, इस बारिश से बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे राज्य के पहाड़ी इलाकों में खासा नुकसान हो सकता है।