MBCC 2025: आर्ट ऑफ लिविंग और IIT मंडी ने शुरू किया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, मेडिटेशन पर शोध को मिलेगा बढ़ावा

आईआईटी मंडी में मन, मस्तिष्क और चेतना सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। पढ़िए डाइनामाइट नयूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 8 June 2025, 12:01 PM IST
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नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी में "मन, मस्तिष्क और चेतना सम्मेलन (एमबीसीसी 2025)" का उद्घाटन किया गया। इस चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में चेतना, मस्तिष्क, मानसिक स्वास्थ्य और भारतीय ज्ञान परंपरा का संगम देखने को मिला। इस आयोजन का उद्देश्य विज्ञान और भारतीय आध्यात्मिक परंपरा के बीच संवाद को बढ़ावा देना है।

इस सम्मेलन का आयोजन आईआईटी मंडी के भारतीय ज्ञान प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य अनुप्रयोग (आईकेएसएमएचए) केंद्र द्वारा किया गया है। इसमें दुनिया भर के न्यूरोसाइंटिस्ट, मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु और एआई विशेषज्ञ शामिल होते हैं।

सम्मेलन भारतीय ज्ञान प्रणाली और चेतना पर केंद्रित है

एमबीसीसी 2025 (4-7 जून) चेतना विज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, तंत्रिका विज्ञान और भारतीय दार्शनिक विचारों के संगम पर आधारित है। इसका उद्देश्य शोध पत्र प्रस्तुतियों, मुख्य भाषणों, कार्यशालाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना है। इस अवसर पर आईआईटी मंडी और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए, जो चेतना और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान को सशक्त बनाएगा।

MBCC 2025, IIT Mandi

एमबीसीसी 2025, आईआईटी मंडी (सोर्स-इंटरनेट)

आध्यात्मिकता और विज्ञान का संगम

सम्मेलन की शुरुआत आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के वर्चुअल उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने कहा, "आज विज्ञान भी स्वीकार कर रहा है कि चेतना और मानसिक स्वास्थ्य में आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान है। ध्यान, सात्विक भोजन और प्राणायाम चेतना को मजबूत करते हैं।"

आईआईटी मंडी के निदेशक और सम्मेलन के जनरल चेयर प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा, "चेतना के बिना शरीर का कोई अस्तित्व नहीं है। यह सम्मेलन विज्ञान और आत्म-साक्षात्कार के संगम का मंच है, जो भारतीय ज्ञान परंपराओं से प्रेरित नवाचार और शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करेगा।"

आईकेएसएमएचए केंद्र के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नब भासवार ने केंद्र की शोध गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में 'स्लीप रिसर्च लैब' शुरू की गई है और डीआरडीओ तथा आयुष मंत्रालय के साथ सहयोग चल रहा है।

विविध सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम

चार दिवसीय सम्मेलन में 110 से अधिक शोध पत्र और 60 पोस्टर प्रस्तुत किए जा रहे हैं। 12 विषयगत सत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और चेतना, आयुर्वेदिक मनोचिकित्सा, योग और ध्यान चिकित्सा, पुनर्जन्म अध्ययन और न्यूरोइमेजिंग जैसे विषयों पर चर्चा की जा रही है।

सम्मेलन में प्रोफेसर बीएन गंगाधर, प्रोफेसर गौतम देसराजू, प्रोफेसर श्रीनिवास वर्केडी, प्रोफेसर निर्मल्या चक्रवर्ती और एचएच भक्ति रसामृत स्वामी जैसे प्रमुख वक्ता अपने विचार प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही धर्म और मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशाला, सात्विक भोजन पर कार्यशाला और भारतीय कहानियों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सम्मेलन का हिस्सा हैं।

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