

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर अभूतपूर्व सुरक्षा तैयारियां की हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला स्वतंत्रता दिवस है, जिसे ध्यान में रखते हुए सेना ने तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की है।
स्वतंत्रता दिवस पर LOC की सुरक्षा चाक-चौबंद
New Delhi: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब पूरा देश जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है, उसी वक्त भारतीय सेना देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीकों के साथ मुस्तैद है। नियंत्रण रेखा (LoC) पर किसी भी घुसपैठ या आतंकी गतिविधि को रोकने के लिए सेना ने तीन-स्तरीय सुरक्षा घेरा तैयार किया है जिसमें स्मार्ट फेंस सिस्टम, ड्रोन, रोबोटिक खच्चर और ऑल-टेरेन वाहन जैसे कई तकनीकी नवाचारों का उपयोग किया जा रहा है।
स्मार्ट फेंस सिस्टम से सीमाओं पर रखी जा रही पैनी नजर
स्मार्ट फेंसिंग सिस्टम अब पारंपरिक कंटीले तारों की सीमित उपयोगिता से कहीं आगे निकल चुका है। यह एक इंटीग्रेटेड निगरानी प्रणाली है, जिसमें सेंसर, कैमरे और रडार लगे होते हैं, जो किसी भी हलचल को तुरंत पहचान कर नियंत्रण कक्ष को अलर्ट भेजते हैं। इससे जवानों को तुरंत प्रतिक्रिया करने का मौका मिलता है और दुश्मन की किसी भी गतिविधि को रोका जा सकता है। राजौरी जिले के सुंदरबनी सेक्टर में मीडिया के सामने इस तकनीक को प्रदर्शित किया गया, जहाँ सेना ने बताया कि यह प्रणाली 24x7 निगरानी की क्षमता रखती है, जिससे किसी भी मौसम में भी सुरक्षा बनाए रखी जा सकती है।
सेना की 'मिनी रोबोट सेना' तैयार
इस बार सेना की सबसे बड़ी तकनीकी उपलब्धियों में से एक है- रोबोटिक खच्चर। "मेक इन इंडिया" पहल के तहत विकसित किए गए ये बहु-पैर वाले रोबोट एयरोआर्क कंपनी द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं। इनका उपयोग उन इलाकों में किया जा सकता है जहाँ मानव सैनिकों का जाना जोखिम भरा हो। सेना अधिकारियों के अनुसार, ये रोबोटिक खच्चर कई कार्यों में सक्षम हैं- जैसे कि भारी सामान पहुंचाना, विस्फोटक पहचानना और दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना। इनकी सबसे खास बात यह है कि ये झुंड में काम कर सकते हैं, जिससे एक "मिनी रोबोट सेना" बन जाती है। इससे ना सिर्फ सैनिकों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि मिशन की सफलता की संभावना भी बढ़ जाती है।
ड्रोन, क्वाडकॉप्टर और नाइट विज़न से बढ़ी निगरानी क्षमता
सेना ने LoC पर निगरानी और गश्त को अधिक प्रभावी बनाने के लिए क्वाडकॉप्टर और अन्य ड्रोन सिस्टम भी तैनात किए हैं। ये ड्रोन ऊंचाई से वास्तविक समय में वीडियो और डेटा भेज सकते हैं, जिससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, नाइट विज़न साइट्स की मदद से रात के समय भी दुश्मन की हरकतों पर नजर रखी जा रही है। ये उपकरण अंधेरे में भी स्पष्ट तस्वीरें और मूवमेंट कैप्चर कर सकते हैं, जिससे सेना को हर समय तैयार रहने में मदद मिलती है।
हर इलाके में सुगम मूवमेंट
LoC का इलाका ऊबड़-खाबड़, बर्फीला और दुर्गम होता है। ऐसे में पारंपरिक वाहनों की सीमाएं सामने आती हैं। लेकिन इस बार सेना ने ऑल-टेरेन वाहन तैनात किए हैं जो किसी भी मौसम और भूमि पर आसानी से चल सकते हैं। इससे सेना की प्रतिक्रिया क्षमता और रसद आपूर्ति दोनों में जबरदस्त सुधार हुआ है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली स्वतंत्रता दिवस तैयारी
यह स्वतंत्रता दिवस ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला बड़ा राष्ट्रीय उत्सव है। ऑपरेशन सिंदूर एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था जिसमें भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की थी। उस ऑपरेशन के दौरान भी इन रोबोटिक खच्चरों और ड्रोन जैसी तकनीकों का उपयोग किया गया था। अब, इन्हीं तकनीकों को नियमित रूप से सेना की संचालन प्रणाली का हिस्सा बना दिया गया है, जो दिखाता है कि भारतीय सेना अब पूरी तरह से तकनीकी रूप से सशक्त हो रही है।
जवानों का जज़्बा और प्रशिक्षण भी कम नहीं
इन अत्याधुनिक उपकरणों के साथ-साथ, सीमाओं पर तैनात जवानों की हिम्मत और कर्तव्यनिष्ठा भी किसी से कम नहीं है। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने बताया कि कठोर मौसम, एकांतवास और हर समय सतर्क रहने की आवश्यकता के बावजूद हमारे सैनिकों का जज़्बा काबिले-तारीफ है। वे ना सिर्फ इन तकनीकों को कुशलता से इस्तेमाल करते हैं, बल्कि निरंतर प्रशिक्षण के जरिए खुद को हर चुनौती के लिए तैयार रखते हैं।