

15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान को जवाब देने वाले 16 बहादुर BSF जवानों को ‘वीरता पदक’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा पांच कर्मियों को राष्ट्रपति पदक (PSM) और 46 को अत्युच्च सेवा पदक (MSM) से नवाजा गया।
ऑपरेशन सिंदूर
New Delhi: स्वतंत्रता दिवस पर BSF (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के उन 16 जवानों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान को प्रहार कर भारत की सीमा रक्षा में जबरदस्त योगदान दिया। इन जवानों की अदम्य साहस की कहानी ने पूरे देश को गर्व से भर दिया। साथ ही, पांच कर्मियों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (PSM) और 46 अधिकारियों एवं जवानों को एमएसएम (उत्कृष्ट सेवा पदक) से पुरस्कृत किया गया।
’ऑपरेशन सिंदूर’
7–8 मई 2025 की मध्यरात्रि, जम्मू क्षेत्र में BSF की 7वीं बटालियन की अग्रिम चौकियों को गोला-बारूद की आपूर्ति के दौरान एसआई व्यास देव और कांस्टेबल सुद्दी राभा को गंभीर चोटें आईं।
• एसआई व्यास देव की पीठ पर शेल फटने से जानलेवा चोटें आईं, फिर भी उन्होंने घायल होते हुए भी मोर्चा संभाला और साथियों को प्रेरित किया। इलाज के दौरान बाएं पैर का विलोप करते हुए भी वे जीवट रहे।
• कांस्टेबल सुद्दी राभा ने भी गंभीर घावों के बावजूद अपने कार्य को पूरा किया।
इन दोनों ने अपने साहस और समर्पण के लिए वीरता पदक से सम्मानित किए गए।
दूसरी टुकड़ी
अभिषेक श्रीवास्तव (एसएसी), हेड कांस्टेबल बृजमोहन सिंह, कांस्टेबल भूपेंद्र बाजपेयी, रजन कुमार, बसवराज शिवप्पा सुंकड़ा और देपेश्वर बर्मन को जमिया सीमा चौकी खारकोला पर भारी गोलाबारी और ड्रोन हमले के दौरान बहादुरी का प्रदर्शन करने पर वीरता पदक मिला।
• 7–8 मई की रात, पाकिस्तान की मोर्टार और ड्रोन हमलों पर इन्होंने जोड-तोड़ जवाबी कार्रवाई करते हुए मोर्चा संभाला।
• 10 मई की सुबह, साथ आने वाले ड्रोन और मोर्टार हमलों के बावजूद जवानों ने लोह पुरुषों की तरह लड़ाई जारी रखी और घायल होते हुए भी पीछे नहीं हटे।
इन सभी छः वीर जवानों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया।
डिप्टी कमांडेंट और उनकी टीम की बहादुरी
डिप्टी कमांडेंट रविंद्र राठौर और उनकी टीम ने ऑपरेशन के दौरान एक जवान की जान बचाई। उनकी सूझबूझ और समर्पण ने उन्हें भी वीरता पदक दिलाया।
जाबोवाल चौकी के ASI उदय वीर सिंह की बहादुरी
10 मई को बीओपी जाबोवाल पर कड़ी गोलाबारी के बीच ASI (GD) उदय वीर सिंह ने जान जोखिम में डाल कर पाकिस्तान की निगरानी कैमरा और HMG ठिकानों को निष्क्रिय कर दिया। ऊपरी होंठ पर गम्भीर चोटें आने के बावजूद उन्होंने दुश्मन पर प्रहार किया और भरपूर जवाबी कार्रवाई की, जिससे मोर्चा बचा। उन्हें वीरता पदक से नवाजा गया।
करोटाना खुर्द चौकी पर आपरेशन एवं गोलाबारी की कहानी
9–10 मई की रात को पाकिस्तान ने करोटाना खुर्द, करोटाना फॉरवर्ड और सुचेतगढ़ चौकियों पर 82 मिमी मोर्टार और मशीन गन से जोरदार हमला किया।
• ASI (GD) राजप्पा बीटी और CT (GD) मनोहर जलक्सो को गोला-बारूद की आपूर्ति हेतु भेजा गया।
• राजप्पा को छर्रे लगे, जबकि जलक्सो भी घायल हुआ।
• इसके बावजूद उन्होंने मिशन पूरा किया और दोनों को वीरता पदक मिला।
सहायक कमांडेंट आलोक नेगी की टीम का अदम्य साहस
53वीं बटालियन के सहायक कमांडेंट आलोक नेगी और कांस्टेबल कंदर्प चौधरी व वाघमारे भवन देवराम ने 7–10 मई 2025 तक FDL मुखयारी पर भारी गोलाबारी में मोर्चा संभाला आलोक नेगी ने मोर्टार और एचएमजी हमले के बीच रक्षात्मक कार्रवाई समन्वित की। चौधरी और वाघमारे ने मोर्टार डिटैचमेंट संभाला, 48 घंटों की लगातार फायरिंग जारी रखी। उन्होंने दुश्मन की स्थिति अस्त-व्यस्त कर दी। इस साहस के लिए तीनों को वीरता पदक सम्मानित किया गया।
अन्य पदक विजेताओं की सूची
कुल मिलाकर 16 वीरता पदक, 5 राष्ट्रपति पदक (PSM) और 46 उत्कृष्ट सेवा पदक (MSM) फोर्स के वीरों को उनके अद्वितीय साहस, कर्त्तव्यनिष्ठा और सेवा के लिए प्रदान किए गए।