कांवड़ यात्रा: शिवभक्ति की ये यात्रा क्यों मानी जाती है सबसे फलदायक? जानिए वजह

भारत में कांवड़ यात्रा न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह शिवभक्तों के लिए एक गहन आध्यात्मिक अनुभव भी है। हर साल सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु जल लेकर पैदल यात्रा कर शिवधामों में जलाभिषेक करते हैं।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 2 July 2025, 12:11 PM IST
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New Delhi: भारत एक धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं से परिपूर्ण देश है और उनमें से एक है कांवड़ यात्रा। सावन मास में आयोजित होने वाली यह यात्रा भगवान शिव के प्रति अगाध भक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इसमें शिवभक्त पवित्र नदियों — गंगा, यमुना या अन्य जलस्रोतों से जल भरकर पैदल यात्रा करते हैं और इसे निकटतम या विशेष शिव मंदिर में चढ़ाते हैं।

कांवड़ यात्रा का महत्व और फल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से संतान सुख, आर्थिक समस्याओं से मुक्ति, मानसिक प्रसन्नता और आत्मिक शांति के लिए यह यात्रा अत्यंत फलदायक मानी जाती है। कई भक्त इसे मनोरोगों के निवारण और पारिवारिक समस्याओं से छुटकारा पाने हेतु भी करते हैं।

कांवड़ यात्रा के दौरान शिवभक्त 'बोल बम', 'हर हर महादेव' जैसे जयघोष करते हुए एक अनुशासित समूह में चलते हैं। कुछ श्रद्धालु दंडी कांवड़ भी करते हैं जिसमें पूरी यात्रा में भूमि को न छूते हुए भक्त घुटनों के बल या शरीर के बल चलकर शिवधाम पहुंचते हैं।

कांवड़ यात्रा से मिलने वाले प्रमुख फल

संतान सुख की प्राप्ति: जिन दंपत्तियों को संतान नहीं होती, उनके लिए यह यात्रा अत्यंत फलदायक मानी जाती है।

मानसिक शांति और तनाव मुक्ति: इस यात्रा में ध्यान, साधना और संयम से मानसिक संतुलन बेहतर होता है और व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से जागरूक होता है।

आर्थिक बाधाओं का निवारण: कई श्रद्धालु मानते हैं कि यह यात्रा उनके जीवन से आर्थिक समस्याएं दूर करती है।

स्वास्थ्य लाभ: लगातार चलने और शुद्ध वातावरण में रहने से शारीरिक रूप से भी लाभ मिलता है।

आध्यात्मिक उन्नति: यह यात्रा व्यक्ति को आत्मचिंतन और ईश्वर के सान्निध्य का अवसर देती है।

Shiv Puja in Sawan 2025

शिवभक्तों पर बरसेगी विशेष कृपा (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

सावन की शुरुआत

इस बार श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और यह 9 अगस्त तक चलेगा। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री और पंडित गौरव द्विवेदी के अनुसार, इस पूरे मास में सात सर्वार्थ सिद्धि योग और एक अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो इस माह को अत्यंत पावन और फलदायी बनाता है।

इस दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन के अनेक कष्ट दूर हो सकते हैं। इन योगों में किए गए धार्मिक कार्य, व्रत, जप-तप और दान आदि विशेष फल देने वाले माने जाते हैं।

भारत की 5 प्रमुख कांवड़ यात्राएं

हरिद्वार से नीलकंठ महादेव यात्रा (उत्तराखंड)

गंगा जल लेकर शिवभक्त हरिद्वार से नीलकंठ महादेव मंदिर तक की कठिन लेकिन अत्यंत पावन यात्रा करते हैं।

गंगोत्री से केदारनाथ यात्रा

यह एक उच्च हिमालयी मार्ग है, जो कठिनतम यात्राओं में गिनी जाती है। यह यात्रा शिवभक्तों की अटूट श्रद्धा का परिचायक है।

सुलतानगंज से बाबा बैद्यनाथ धाम (झारखंड)

यहां भक्त गंगा से जल लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जल चढ़ाते हैं। इसे विशेष फलदायी माना जाता है।

वाराणसी से काशी विश्वनाथ यात्रा

काशी के पवित्र घाटों से जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में चढ़ाना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।

उज्जैन से महाकालेश्वर यात्रा (मध्य प्रदेश)

क्षिप्रा नदी से जल लेकर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तक की यात्रा भी शिवभक्तों में विशेष महत्व रखती है।

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