हिंदी दिवस 2025: संविधान से सोशल मीडिया तक, बदलते भारत में हिंदी का सफर

14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है, जो भारत की आधिकारिक भाषा नीति के ऐतिहासिक फैसले की याद दिलाता है। यह दिन हिंदी के प्रचार-प्रसार और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का प्रतीक है। डिजिटल युग में भी हिंदी की प्रासंगिकता लगातार बढ़ रही है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 14 September 2025, 7:04 AM IST
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New Delhi: हर साल 14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस मनाया जाता है, लेकिन इसके पीछे की कहानी महज एक तारीख नहीं, बल्कि भारतीय संविधान और भाषाई नीति से जुड़ी ऐतिहासिक लड़ाई और समझौते की दास्तान है। हिंदी दिवस के बहाने यह दिन न केवल हिंदी भाषा को सम्मान देने का मौका है, बल्कि यह दिन हमें हमारी भाषाई विविधता और एकता के मूलभूत सिद्धांतों की याद भी दिलाता है।

इतिहास की पृष्ठभूमि

1947 में आजादी के बाद जब भारत का संविधान बनाने का कार्य शुरू हुआ तो एक बड़ा सवाल यह था कि देश की राजभाषा कौन होगी। संविधान सभा में कई भाषाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे। हिंदी समर्थक चाहते थे कि हिंदी को देवनागरी लिपि में राष्ट्रभाषा घोषित किया जाए, जबकि दक्षिण भारत के प्रतिनिधि अंग्रेज़ी को भी बरकरार रखने के पक्ष में थे। बहस और विरोध के बीच एक समझौता फार्मूला, जिसे मुंशी-अयंगार फार्मूला कहा गया, 14 सितंबर 1949 को पास किया गया। इस फॉर्मूले के अनुसार हिंदी को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया और अंग्रेज़ी को अगले 15 वर्षों तक सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया ताकि हिंदी का शब्दकोष विकसित किया जा सके और अंग्रेज़ी से सीधा परिवर्तन आसान हो सके।

हिंदी दिवस 2025

संविधान में हिंदी की स्थिति

हिंदी को संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 के अंतर्गत एक प्रमुख स्थान मिला। यह निर्णय 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय अरबी अंकों को सरकारी नंबर सिस्टम में शामिल किया गया, जिससे सरकारी दस्तावेज़ और कार्यों में एकरूपता आ सके। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया। यह दिन हिंदी साहित्यकार भोहर राजेंद्र सिंह का जन्मदिन भी है, जिनका संविधान निर्माण में योगदान रहा।

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

हिंदी दिवस केवल भाषा के प्रचार का माध्यम नहीं, बल्कि यह दिन राष्ट्र की आत्मा को याद करने का दिन है। हिंदी भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है, लेकिन यह देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। हिंदी भाषा देश की सांस्कृतिक पहचान है, जो उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक लोगों को जोड़ती है। महात्मा गांधी ने 1918 में कहा था कि "हिंदी जनमानस की भाषा है" और यह देश को एक सूत्र में पिरो सकती है। आज भी उनका यह कथन उतना ही प्रासंगिक है।

डिजिटल युग में हिंदी की भूमिका

वर्तमान समय में जब डिजिटल इंडिया की बात हो रही है, तब हिंदी की उपयोगिता और बढ़ गई है। सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप्स, वेबसाइट्स और यहां तक कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी हिंदी भाषा में कंटेंट प्रदान कर रहे हैं। सरकार और निजी क्षेत्र दोनों ही हिंदी को डिजिटल स्पेस में प्रमोट करने की कोशिश कर रहे हैं। हर साल इस दिन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को पुरस्कार दिए जाते हैं। यह छात्रों, लेखकों, पत्रकारों और सरकारी कर्मचारियों को हिंदी के प्रति प्रोत्साहित करता है।

हिंदी सप्ताह और आयोजन

हिंदी दिवस के साथ-साथ 14 से 21 सितंबर तक हिंदी सप्ताह भी मनाया जाता है। इस दौरान स्कूलों, कॉलेजों, मंत्रालयों, बैंकों और सार्वजनिक उपक्रमों में कविता पाठ, निबंध लेखन, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। विभिन्न सरकारी विभागों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा विभाग की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। यह प्रयास हिंदी को केवल कार्यालयों तक सीमित नहीं रखता, बल्कि सामान्य जीवन में उसकी उपयोगिता और स्वीकार्यता को भी बढ़ाता है।

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