

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान को पार कर गया है। यमुना बाजार समेत कई निचले इलाकों में घुटनों तक पानी भर गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर बारिश का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में यमुना का जलस्तर और बढ़ सकता है।
सीएम रेखा गुप्ता पहुंचीं यमुना बाजार
New Delhi: राजधानी दिल्ली एक बार फिर बाढ़ के खतरे से जूझ रही है। यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान को पार कर गया है, जिससे शहर के कई निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका यमुना बाजार है, जहां गलियों में घुटनों तक पानी भर गया है और लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं।
बढ़ता जलस्तर, बढ़ती चिंता
सोमवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर 206 मीटर के करीब दर्ज किया गया, जो कि खतरे के निशान 205.48 मीटर से अधिक है। जलस्तर के बढ़ने की मुख्य वजह हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से लगातार छोड़ा जा रहा पानी है। हाल ही में बैराज के सभी 18 फाटक खोल दिए गए, जिससे यमुना में जलप्रवाह एक लाख क्यूसेक के पार चला गया। इसका असर दिल्ली में साफ दिखाई दे रहा है, जहां निचले इलाकों में पानी भर गया है और बाढ़ का खतरा गहरा गया है।
सीएम रेखा गुप्ता ने किया दौरा
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यमुना बाजार क्षेत्र का दौरा किया और बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, "स्थिति नियंत्रण में है। राहत और बचाव कार्य लगातार चल रहे हैं। जरूरतमंदों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। चिंता की कोई बात नहीं है, स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है।" हालांकि, स्थानीय लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। कई परिवारों ने जरूरी सामान को छतों पर पहुंचाकर अस्थायी रूप से वहां डेरा डाल लिया है। बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
प्रशासन अलर्ट मोड में
दिल्ली सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घंटे सक्रिय है। गोताखोरों की टीम, मोटर बोट्स और मेडिकल टीमें तैनात की जा चुकी हैं। यमुना खादर जैसे संवेदनशील इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की तैयारी भी की जा रही है।
आगे क्या?
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर बारिश का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में यमुना का जलस्तर और बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के इस दौर में हथिनीकुंड बैराज से बहाव को नियंत्रित करने की जरूरत है, वरना दिल्ली को फिर एक बार बड़ी बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है।