

एक समय था जब देश की राजधानी दिल्ली में डबल-डेकर बसें खूब चला करती थीं, लेकिन 1989 में पुराने बेड़े की जर्जर हालत और सीएनजी युग की शुरुआत के चलते इन्हें बंद कर दिया गया था।
New Delhi: दिल्ली में 35 साल बाद डबल-डेकर बसें फिर से सड़कों पर दौड़ती दिखेंगी। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) राजधानी में डबल डेकर बसें चलाने की व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट की तैयारी कर रहा है।
जानकारी के अनुसार अशोक लीलैंड ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पहल के तहत एक इलेक्ट्रिक डबल-डेकर बस बनाई है, जो अभी ओखला डिपो में खड़ी है। जल्द ही इसे चुनिंदा रूट्स पर ट्रायल रन के लिए उतारा जाएगा।
परिवहन मंत्री पंकज सिंह ने शुक्रवार को पुष्टि की कि सरकार इस बात की जांच कर रही है कि क्या शहर में बसों का सुरक्षित और प्रभावी ढंग से संचालन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल एक बस मौजूद है और दो और मिलने की संभावना है, लेकिन अभी इन्हें ऑपरेशन में नहीं लाया गया है। उन्होंने बताया कि अफसर रूट मैप तैयार कर रहे हैं और यह जांच रहे हैं कि दिल्ली ट्रैफिक में इन बसों को चलाना कितना आसान या मुश्किल होगा। इसके लिए पेड़ों की ऊंचाई, फ्लाईओवर और ओवरब्रिज की क्लियरेंस को भी देखा जा रहा है।
नई डबल-डेकर बस की लंबाई 9.8 मीटर और ऊंचाई 4.75 मीटर है। इसमें ड्राइवर के अलावा 63 से ज्यादा यात्री बैठ सकते हैं। यानी यह सामान्य डीटीसी बस से करीब तीन गुना ज्यादा यात्रियों को ले जा सकती है। हालांकि, बस की ज्यादा ऊंचाई और वजन अभी भी सबसे बड़ा चैलेंज है।
अधिकारियों के मुताबिक, बसों को उन रूट्स पर नहीं चलाया जा सकता जहां पेड़ छोटे हों, तार लटके हों या फ्लाईओवर की ऊंचाई कम हो। चूंकि ये इलेक्ट्रिक बसें हैं और वजन ज्यादा है, इसलिए शुरुआत में इन्हें छोटे रूट्स पर टेस्ट किया जाएगा ताकि बैटरी परफॉर्मेंस भी समझी जा सके।
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दिल्ली सरकार का दावा है कि इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसों की वापसी पर्यावरण हितैषी और जनता के अनुकूल कदम है। इससे न सिर्फ यात्रा सुगम होगी बल्कि दिल्ली के आधुनिक, ऐतिहासिक रूप को एक साथ जोड़ने का अवसर मिलेगा।
एक समय पर डबल-डेकर बसें दिल्ली की सड़कों पर आम थीं। DTC इन्हें सुविधा बसें कहती थी, लेकिन 1989 में पुरानी होने और शहर में CNG बसों के आने के बाद इन्हें बंद कर दिया गया था।
1949 में शुरू हुई थी डबल डेकर बस
राजधानी में डबल डेकर बसों का संचालन 1949 में डीटीसी के अधीन शुरू हुआ था। पीले, हरे और लाल रंग की ये बसें दिल्ली की शान हुआ करती थीं। भीड़भाड़ वाले इलाकों जैसे कश्मीरी गेट, पुरानी दिल्ली, करोल बाग और कनॉट प्लेस तक पहुंचने के लिए लोग अक्सर इन्हीं बसों को चुनते थे। यात्रियों के लिए ऊपरी डेक से दिल्ली की गलियों और बाजारों का नजारा अविस्मरणीय अनुभव होता था।
DTC अधिकारियों ने बताया कि 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों और 2022 में G20 शिखर सम्मेलन से पहले भी इन्हें वापस लाने की कोशिशें की गईं, लेकिन योजना सफल नहीं हो पाई।
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2011 में दिल्ली सरकार ने "हॉप ऑन हॉप ऑफ (HoHo)" टूरिस्ट रूट्स पर ओपन-टॉप डबल-डेकर बसें चलाने पर भी विचार किया था। 2022 में CESL ने दिल्ली के लिए 1,500 इलेक्ट्रिक बसों की योजना बनाई थी, जिसमें 100 डबल-डेकर बसें भी शामिल थीं, लेकिन बाद में यह योजना भी विफल हो गई।