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दिल्ली मेट्रो म्यूजियम फिर खुल गया है। सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन पर शिफ्ट इस म्यूजियम में ₹10 में मेट्रो का इतिहास, टेक्नोलॉजी, कंट्रोल रूम और ट्रेन चलाने का सिम्युलेटर एक्सपीरियंस देखें।
मेट्रो म्यूजियम के खुले दरवाजे (Img Source: Google)
New Delhi: दिल्ली की पहचान आज सिर्फ ऐतिहासिक इमारतों या भीड़भाड़ वाली सड़कों से नहीं, बल्कि दिल्ली मेट्रो से भी जुड़ी है। रोजाना लाखों लोग इससे सफर करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह मेट्रो कैसे बनी, इसे चलाने के पीछे कैसी आधुनिक तकनीक काम करती है और इसकी शुरुआत किन हालात में हुई थी। अब इन सभी सवालों के जवाब एक ही जगह मिलेंगे, क्योंकि दिल्ली मेट्रो म्यूजियम एक नए और आधुनिक रूप में फिर से आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।
पहले यह म्यूजियम पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पर स्थित था, लेकिन अब इसे सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन पर शिफ्ट कर दिया गया है। नए स्थान पर म्यूजियम को ज्यादा जगह, बेहतर लेआउट और इंटरैक्टिव डिस्प्ले के साथ तैयार किया गया है, ताकि लोग दिल्ली मेट्रो के सफर को न सिर्फ देखें, बल्कि उसे महसूस भी कर सकें।
इस नए म्यूजियम का उद्घाटन दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने किया। इस मौके पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली मेट्रो केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल ट्रांसपोर्ट और आधुनिक शहरी विकास का मजबूत उदाहरण है।
दिल्ली मेट्रो म्यूजियम मंगलवार से रविवार तक सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है। सोमवार और सरकारी छुट्टियों में यह बंद रहेगा। यहां सबसे खास बात यह है कि प्रवेश शुल्क सिर्फ ₹10 प्रति व्यक्ति रखा गया है। इतनी कम कीमत में मेट्रो के इतिहास, तकनीक और संचालन को करीब से जानना इसे छात्रों, बच्चों और आम लोगों के लिए बेहद किफायती बनाता है।
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अगर आप बच्चों के साथ किसी एजुकेशनल ट्रिप का प्लान बना रहे हैं या दिल्ली घूमने आए हैं और कुछ अलग देखना चाहते हैं, तो यह म्यूजियम एक बढ़िया विकल्प है। यहां पढ़ाई और जानकारी के साथ-साथ देखने और समझने का अनुभव भी मिलता है, जो इसे फैमिली आउटिंग के लिए खास बनाता है।
म्यूजियम का सबसे बड़ा आकर्षण है मेट्रो ट्रेन सिम्युलेटर। यहां आप ड्राइवर की सीट पर बैठकर मेट्रो चलाने जैसा अनुभव ले सकते हैं। इसके अलावा कंट्रोल रूम के मॉडल, सिग्नल सिस्टम और सुरक्षा से जुड़े तकनीकी सेटअप भी दिखाए गए हैं, जिससे पता चलता है कि रोज समय पर और सुरक्षित मेट्रो चलाने के लिए कितनी जटिल व्यवस्था काम करती है।
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म्यूजियम में लगे इंटरैक्टिव स्क्रीन और मॉडल्स के जरिए यह समझाया गया है कि मेट्रो ट्रेन कैसे चलती है, सिग्नल कैसे कंट्रोल होते हैं और जमीन के नीचे टनल कैसे बनाई जाती है। बच्चों और छात्रों के लिए यह हिस्सा खास तौर पर रोचक है, क्योंकि यहां सीखना बोझ नहीं, बल्कि एक अनुभव बन जाता है।
कुल मिलाकर, दिल्ली मेट्रो म्यूजियम अब सिर्फ देखने की जगह नहीं, बल्कि सीखने और समझने का एक शानदार केंद्र बन चुका है।
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