

तमिलनाडु में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज 8 सितंबर को अवमानना याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका में आरोप है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश की अनदेखी की है।
सुप्रीम कोर्ट अवमानना याचिका पर करेगा सुनवाई
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट आज यानी 8 सितंबर को तमिलनाडु सरकार के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें राज्य सरकार द्वारा जी. वेंकटरामन को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त करने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश का उल्लंघन बताया गया है। इस याचिका को मदुरै के वकील हेनरी टिफाग्ने ने दायर किया है और उनका प्रतिनिधित्व वकील प्रसन्ना एस. कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार केस में दिए गए निर्णय के खिलाफ है, जिसमें शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि डीजीपी की नियुक्ति से कम से कम तीन महीने पहले संबंधित राज्य सरकार को यूपीएससी को प्रस्ताव भेजना अनिवार्य है। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा था कि किसी भी राज्य को डीजीपी के पद पर किसी को कार्यवाहक के रूप में नियुक्त करने का विचार तक नहीं करना चाहिए।
डीजीपी की नियुक्ति का मामला
हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने 31 अगस्त 2025 को पुलिस अधिसूचना संख्या SC/19/2025 के माध्यम से, शंकर जीवाल के सेवानिवृत्त होने के बाद, जी. वेंकटरामन, आईपीएस को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह नियुक्ति न केवल अदालत के आदेश का उल्लंघन है, बल्कि यह जानबूझकर और स्पष्ट अवमानना का मामला है।
याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार ने न तो समय रहते यूपीएससी को प्रस्ताव भेजा और न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया, जिससे डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं रही।
पूर्व में, याचिकाकर्ता ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने इसे जल्दबाजी में दाखिल याचिका बताते हुए खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि डीजीपी जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन आवश्यक है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है।
अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ, जिसकी अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई कर रहे हैं, इस याचिका की आज सुनवाई करेगी। यह मामला प्रशासनिक पारदर्शिता और न्यायिक आदेशों के सम्मान के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। यदि अदालत तमिलनाडु सरकार को दोषी पाती है, तो यह राज्य प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, और भविष्य में इस तरह की नियुक्तियों के लिए सख्त दिशानिर्देशों का पालन अनिवार्य हो सकता है।