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फरीदाबाद-सहारनपुर आतंकी मॉड्यूल की जांच में आरोपी डॉ. उमर के कमरे से विस्फोटक क्षमता बढ़ाने वाले केमिकल और प्रयोगों के सबूत मिले हैं। यूनिवर्सिटी गार्ड ने बताया कि कमरे से महीनों तक काला धुआं निकलता था, लेकिन शिकायत को प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया। जांच एजेंसियों के अनुसार यह ‘व्हाइट कॉलर टेरर’ से जुड़ा बड़ा खुलासा है।
आतंकी उमर
Faridabad: फरीदाबाद-सहारनपुर आतंकी मॉड्यूल की जांच में व्हाइट कॉलर टेरर के कई राज सामने आने लगे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियां इस मॉड्यूल के कोर ऑपरेशन, फंडिंग और तकनीकी तैयारी से जुड़े पहलुओं को समझने की कोशिश कर रही हैं। इसी क्रम में जांचकर्ताओं ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के टावर-17, कमरा नंबर-4 को महत्वपूर्ण स्थान माना है, जहां आरोपी डॉ. उमर पिछले कई महीनों से रह रहा था। जांच में पता चला है कि उमर का कमरा केवल रहने की जगह नहीं था, बल्कि वह वहीं पर खतरनाक विस्फोटक तैयार करने और उनकी क्षमता बढ़ाने के प्रयोग भी कर रहा था।
सूत्रों के अनुसार, डॉ. उमर के पास मौजूद TATP जैसे अत्यंत संवेदनशील विस्फोटक की क्षमता बढ़ाने के लिए वह विशेष केमिकल पर लगातार प्रयोग करता था। इसी कारण उसके कमरे से पिछले लगभग आठ महीनों में कई बार काले रंग का धुआं निकलता देखा गया। यह धुआं केवल कुछ मिनटों तक नहीं, बल्कि कई बार लगातार निकलता रहता था, जिससे आसपास रहने वालों को भी असामान्य गंध महसूस होती थी।
इस पूरे मामले में यूनिवर्सिटी के एक सुरक्षा गार्ड का बयान जांच एजेंसियों के लिए बेहद अहम साबित हुआ है। सुरक्षा कारणों से इस गार्ड का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक गार्ड ने बताया कि उसने पिछले महीनों के दौरान अक्सर कमरे से उठता धुआं देखा था। कई बार यह धुआं इतना जहरीला और तेज गंध वाला होता था कि सामान्य लोग वहां रुक भी नहीं सकते थे।
गार्ड ने बताया कि एक दिन जब धुआं ज्यादा उठ रहा था तो उसने हिम्मत करके डॉ. उमर से इस बारे में पूछताछ की। जवाब में उमर ने कहा कि वह “कमरे में सब्जी पका रहा है।” इस उत्तर से गार्ड को संतोष नहीं हुआ, लेकिन उसने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को पूरी बात से अवगत करा दिया। इसके बावजूद, आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और मामले को नज़रअंदाज़ कर दिया। इसी लापरवाही के कारण उमर को अपने कमरे में केमिकल के साथ प्रयोग जारी रखने का मौका मिलता रहा।
जांच एजेंसियों ने जब उमर के कमरे की तलाशी ली तो वहां से कई तरह के रासायनिक पदार्थ बरामद हुए। ये वही केमिकल थे जिनका उल्लेख उन वीडियो में किया गया था, जो उमर के फोन से मिली हैं। इन वीडियो में उसके हैंडलर उसे यह सिखाते दिख रहे थे कि कैसे TATP जैसे विस्फोटकों की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। यह साफ संकेत देता है कि उमर केवल विस्फोटक खरीदने तक सीमित नहीं था, बल्कि वह उसे और ज्यादा घातक बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा था।
गार्ड के बयान के बाद जांच एजेंसियों के पास एक प्रत्यक्ष गवाही भी आ गई है, जो यह सिद्ध करती है कि उमर एक सुनियोजित आतंकी साजिश का हिस्सा था। एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि उसके नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल थे, उसे केमिकल सप्लाई कौन कर रहा था और उसके टारगेट क्या थे। फिलहाल, उमर के कमरे से बरामद सामग्री और गार्ड के बयान ने इस आतंकी मॉड्यूल को लेकर जांच को एक और ठोस दिशा दे दी है।