ED Raid: अनिल अंबानी से जुड़े 50 ठिकानों पर ईडी की जबरदस्त कार्रवाई, जानिए क्या है यस बैंक ऋण घोटाला मामला?

प्रवर्तन निदेशालय ने यस बैंक से जुड़े 3000 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी समूह के 50 ठिकानों पर छापेमारी की है। जांच में रिश्वतखोरी और अवैध धन हस्तांतरण के गंभीर आरोप सामने आए हैं।

Updated : 24 July 2025, 12:26 PM IST
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Mumbai: 3000 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को मुंबई और दिल्ली में अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कई संपत्तियों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई यस बैंक से जुड़े इस विवादित ऋण मामले की जांच के तहत की गई है। जांच का मुख्य फोकस रिलायंस अनिल अंबानी समूह (RAAGA) की कंपनियों से जुड़े धन शोधन और कथित धोखाधड़ी की पुष्टि करना है। इस मामले में कुल मिलाकर 50 ठिकानों पर रेड की गई है, जिनमें समूह की कंपनियों के कार्यालय और वरिष्ठ अधिकारियों के घर शामिल हैं, हालांकि अनिल अंबानी के निजी आवास पर छापेमारी नहीं हुई।

25 व्यक्तियों से जुड़े 35 से अधिक परिसरों की तलाशी

ईडी ने बताया कि यह जांच धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत चल रही है और इसमें लगभग 25 व्यक्तियों से जुड़े 35 से अधिक परिसरों की तलाशी ली जा रही है। जांच का फोकस 2017 से 2019 के बीच हुए संदिग्ध ऋण लेन-देन पर है, जिसमें कथित तौर पर यस बैंक के प्रवर्तकों ने अनिल अंबानी समूह को ऋण स्वीकृत करने से पहले अपने कारोबारों में बड़ी धनराशि का हेरफेर किया।

सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी इस बात की जांच कर रही है कि ऋण स्वीकृति प्रक्रिया में किस प्रकार 'घोर उल्लंघन' हुए और क्या बैंकों के अधिकारियों ने रिश्वत लेकर अनिल अंबानी समूह को फायदा पहुंचाया। यह भी जांचा जा रहा है कि इस पूरे मामले में बैंकों, निवेशकों और सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी की गई या उन्हें गुमराह किया गया।

Anil Ambani

अनिल अंबानी (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

इस जाँच के पीछे कई नियामक और वित्तीय निकायों जैसे राष्ट्रीय आवास बैंक, सेबी, एनएफआरए, बैंक ऑफ बड़ौदा, तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से मिली सूचनाएं हैं। ये संस्थाएं भी यस बैंक से जुड़ी इस कथित धोखाधड़ी की जांच कर रही हैं।

यस बैंक ऋण घोटाला?

जांच अधिकारी बता रहे हैं कि 2017 और 2019 के बीच यस बैंक ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को ऋण जारी किया, जो कुल 3000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि है। जांच में यह भी सामने आया है कि ऋण स्वीकृत होने से पहले धनराशि बैंक के प्रवर्तकों से जुड़े अन्य संगठनों को हस्तांतरित कर दी गई थी, जिससे यह मामला और भी संदिग्ध हो गया।

विशेष रूप से रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) का कॉर्पोरेट ऋण पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है। 2017-18 में कंपनी का ऋण 3,742.60 करोड़ रुपये था, जो 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। ईडी इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या RHFL के कर्ज बढ़ने में भी किसी प्रकार की अनियमितता और रिश्वतखोरी शामिल थी।

एजेंसी का दावा है कि जांच के दौरान उन्हें एक सुनियोजित योजना के सबूत मिले हैं, जिसमें जनता के पैसे को गबन करने और बैंकिंग प्रणाली का दुरुपयोग करने की कोशिश की गई। जांच अब तक के मिले सबूतों के आधार पर यह पता लगाने में लगी है कि कैसे इस फर्जीवाड़े के जरिये बैंकों, शेयरधारकों और निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया गया।

ईडी ने फिलहाल इस मामले में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डेटा जब्त कर लिए हैं, जिससे मामले की तह तक जाने में मदद मिलेगी। जांच अभी भी जारी है और इसके आधार पर भविष्य में और भी बड़े स्तर पर कार्रवाई हो सकती है।

Location : 
  • Mumbai

Published : 
  • 24 July 2025, 12:26 PM IST