शारदीय नवरात्रि 2025: सप्तमी तिथि पर होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें विधि, मंत्र, मुहूर्त और महत्व

शारदीय नवरात्रि 2025 की सप्तमी पूजा 29 सितंबर को होगी। इन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा तथा बुरी शक्तियों का विनाश होता है। उदयातिथि के आधार पर सप्तमी पूजा 29 सितंबर को ही की जाएगी।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 28 September 2025, 2:36 PM IST
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New Delhi: शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन, जिसे महा सप्तमी कहा जाता है, विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष सप्तमी तिथि सोमवार, 29 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। सप्तमी के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा तथा बुरी शक्तियों का विनाश होता है।

सप्तमी तिथि और समय

पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि की शुरुआत 28 सितंबर को दोपहर 02:27 बजे होगी और इसका समापन 29 सितंबर को शाम 04:31 बजे होगा। उदयातिथि के आधार पर सप्तमी पूजा 29 सितंबर को ही की जाएगी।

मां कालरात्रि पूजा के शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:37 से 05:25 तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:47 से 12:35 तक

Maa Kaalratri

मां कालरात्रि पूजा विधि

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:11 से 02:58 तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:09 से 06:33 तक

पूजा विधि

सप्तमी की सुबह स्नान कर घर के पूजा स्थल को शुद्ध करें। चौकी पर मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर गंगाजल से छिड़काव करें। मां को लाल चंदन, सिंदूर, चुनरी, लाल-पीले फूल और गुड़ का भोग अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर मंत्रों का जाप करें और परिवार सहित आरती करें।

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मां कालरात्रि का प्रिय भोग और रंग

मान्यता है कि मां कालरात्रि को गुड़ का भोग अत्यंत प्रिय है। भक्त गुड़ या उससे बनी मिठाइयां अर्पित करते हैं। इनका प्रिय रंग लाल है, इसलिए पूजा में लाल वस्त्र धारण करना और लाल फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

मां कालरात्रि के मंत्र

बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः

स्तोत्र मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

अन्य मंत्र: ॐ कालरात्र्यै नमः, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है, लेकिन इन्हें शुभंकारी भी कहा जाता है। इनका वर्ण काला है, बाल खुले रहते हैं और गले में मुंडमाला धारण करती हैं। मां की चार भुजाएं हैं एक हाथ अभय मुद्रा में, दूसरा वर मुद्रा में, जबकि अन्य हाथों में खड्ग और कांटा है। मां गधे पर सवार रहती हैं और असुरों का संहार कर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

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महत्व

मां कालरात्रि की पूजा से भय का नाश होता है और जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। यह दिन साधना और अध्यात्म के लिए भी महत्वपूर्ण है। सप्तमी से लेकर दशमी तक दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है और इस दौरान भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास रखते हैं।

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Published : 
  • 28 September 2025, 2:36 PM IST