

कामिका एकादशी जुलाई माह में मनाई जाएगी। यह भगवान विष्णु और तुलसी पूजन का पवित्र व्रत है, जो पापों का नाश और स्वर्ग की प्राप्ति दिलाता है। जानिए इसके बारे में सबकुछ
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-गूगल)
New Delhi: कामिका एकादशी सावन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एक पवित्र तिथि है, जो भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर प्रदान करती है। इस व्रत को यज्ञ से भी श्रेष्ठ बताया गया है। ब्रह्मा जी ने देवर्षि नारद को बताया कि इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति कभी कुयोनि में जन्म नहीं लेता और उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है कि इस व्रत का पालन करने वाला भक्त नरक के दर्शन से बचता है और यमराज का भय उससे दूर रहता है। यह व्रत अध्यात्म विद्या से भी अधिक फलदायक माना गया है।
इस दिन मनाई जाएगी कामिक एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे कामिका एकादशी कहते हैं, यह 21 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। यह पवित्र व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है, जो मोक्ष, पापों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं, जो हर कार्य को शुभ और सफल बनाते हैं। आइए जानें इस व्रत का धार्मिक महत्व, पूजा विधि और तुलसी पूजन के चमत्कारी फायदे।
कामिका एकादशी की तिथि और मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ: 20 जुलाई 2025, दोपहर 12:12 बजे
एकादशी तिथि समाप्ति: 21 जुलाई 2025, सुबह 09:38 बजे
व्रत तिथि: 21 जुलाई 2025
कामिका एकादशी का धार्मिक महत्व
कामिका एकादशी का व्रत गौदान और संपूर्ण धरती दान करने के समान पुण्य प्रदान करता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से वह फल प्राप्त होता है, जो गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर जैसे तीर्थों में भी दुर्लभ है। सावन मास में भगवान श्रीधर की पूजा करने से गंधर्वों और नागों सहित सभी देवताओं की पूजा का फल मिलता है। इस दिन दीपदान और रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। भीष्म जी के अनुसार, इस दिन घी या तिल के तेल का दीपक जलाने का पुण्य इतना अधिक है कि चित्रगुप्त भी इसका लेखा-जोखा नहीं रख सकते। यह दीपक सूर्यलोक और स्वर्ग में भी प्रकाश प्रदान करता है।
तुलसी पूजन का चमत्कारी महत्व
तुलसी माता को भगवान विष्णु की सबसे प्रिय माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जहां भी तुलसी होती है, वहां स्वयं भगवान विष्णु निवास करते हैं। कामिका एकादशी पर तुलसी पूजन से वैकुंठधाम की प्राप्ति होती है। इस दिन तुलसी पत्र अर्पण किए बिना विष्णु पूजा अधूरी मानी जाती है। तुलसी की परिक्रमा, जल अर्पण और दीपदान से घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। ध्यान रहे, इस दिन तुलसी पत्र तोड़ना वर्जित है।
कामिका एकादशी के विशेष उपाय
1. तुलसी पर दीपक जलाएं: संध्या समय तुलसी के पास शुद्ध घी का दीपक जलाएं और “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जप करें। यह उपाय दरिद्रता दूर करता है और समृद्धि लाता है।
2. तुलसी पत्र से पूजन: भगवान विष्णु को कम से कम 11 तुलसी पत्र चंदन के साथ अर्पित करें। प्रत्येक पत्र पर मंत्र जपते हुए अर्पण करें।
3. तुलसी की परिक्रमा: तुलसी पौधे की 11, 21 या 108 परिक्रमा करें। इससे पितृ दोष शांत होता है।
4. तुलसी जल छिड़काव: गंगाजल में तुलसी पत्र डालकर घर में छिड़कें। इससे वातावरण पवित्र होता है और लक्ष्मी का वास होता है।
5. तुलसी मंत्र जाप: “ॐ तुलस्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए लाभकारी है।
कामिका एकादशी का पुण्य फल
इस व्रत का पालन करने से भक्तों को वह पुण्य प्राप्त होता है, जो पूरे वर्ष विष्णु पूजा करने या गौदान करने से मिलता है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि भक्तों को स्वर्गलोक और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
डिस्क्लेमर-डाइनामाइट न्यूज़ इस लेख की पुष्टि नहीं करता। इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक ग्रंथों, परंपराओं और विशेषज्ञों की राय पर आधारित हैं। किसी भी धार्मिक या शारीरिक गतिविधि को अपनाने से पहले अपने परिवार के बुजुर्गों से सलाह अवश्य लें।