

दीपावली केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक छोटी सी लौ भी उसे मिटा सकती है। मां लक्ष्मी की पूजा धन से अधिक ज्ञान, शांति और विवेक का संदेश देती है।
मां लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है
New Delhi: आज पूरा देश दीपावली की खुशियों में डूबा हुआ है। घर, मंदिर, गलियां और बाजार रोशनी से जगमगा रहे हैं। दीपावली न केवल रोशनी और सजावट का पर्व है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय, प्रकाश की अंधकार पर जीत और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
दीपावली की रात मां लक्ष्मी का पूजन हर घर में किया जाता है। लेकिन यह पूजा केवल धन प्राप्ति के लिए नहीं होती, बल्कि यह मानव जीवन में सकारात्मकता, शांति और ज्ञान के प्रकाश को स्थापित करने का प्रतीक है। वेदों में जिस लक्ष्मी का वर्णन किया गया है, वह केवल सोना-चांदी नहीं, बल्कि भगवान नारायण की प्रिय श्री निधि लक्ष्मी हैं, जो समृद्धि, शीतलता, विवेक और संतुलन की प्रतीक मानी जाती हैं।
दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व
लक्ष्मी जी का वास्तविक स्वरूप धन-संपत्ति से कहीं अधिक गहरा है। वे केवल भौतिक संपत्ति की देवी नहीं, बल्कि गुण, संस्कार, पवित्रता और विवेक की अधिष्ठात्री हैं। यही कारण है कि दीपावली हमें भौतिक सुखों से आगे बढ़कर आत्मिक समृद्धि की ओर प्रेरित करती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी का प्रकट होना भी कार्तिक अमावस्या को हुआ था। इसीलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है। वहीं गणेश जी को लक्ष्मी जी का प्रिय पुत्र माना गया है, जो हर शुभ अवसर पर साथ रहते हैं। एक कथा के अनुसार, मां लक्ष्मी ने स्वयं कहा था कि “मेरे पहले पुत्र गणेश का पूजन किया जाए, तभी मेरी पूजा पूर्ण मानी जाएगी।” इसलिए दीपावली के दिन जब लक्ष्मी पूजन किया जाता है, तो गणेश जी की आराधना साथ में की जाती है।
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दीपावली पर घरों में मिट्टी के दीपक जलाने का भी अपना गहरा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ये दीपक धरती की बेटी मां जानकी के भाई माने जाते हैं। जब ये दीपक जलते हैं तो मानो तारों की चमक भी फीकी पड़ जाती है। यह प्रकाश न केवल बाहरी अंधकार को मिटाता है, बल्कि हमारे भीतर की नकारात्मकता, आलस्य और भ्रम को भी दूर करता है।
दीपक की लौ आशा, विश्वास और जागरूकता का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाती है कि अगर भीतर विश्वास की लौ जल रही हो, तो जीवन का कोई भी अंधकार स्थायी नहीं रह सकता।
दीपावली पर बनाए जाने वाले रंगोली, दीपों की पंक्तियाँ और पूजा की विधियां केवल परंपरा नहीं हैं। इन सबके पीछे गहरा आध्यात्मिक अर्थ है। यह मन, वाणी और कर्म की एकता का प्रतीक है। जब हम अपने घरों को स्वच्छ और प्रकाशित करते हैं, तो वास्तव में हम अपने विचारों और भावनाओं को भी शुद्ध करते हैं। यही आंतरिक स्वच्छता मां लक्ष्मी को आकर्षित करती है।
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अमावस्या की वह रात जब आकाश तारेहीन होता है, तब दीपों की पंक्तियाँ अंधकार को चीरते हुए दिव्यता और आशा का प्रकाश फैलाती हैं। दीपावली हमें सिखाती है कि चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटी सी लौ उसे मिटाने में सक्षम होती है।