

हर साल की तरह इस वर्ष भी कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस साल दिवाली का त्योहार 21 अक्टूबर शाम: 6:51 से 8:48 बजे तक रहेगा। प्रदोष काल में इसी दिन लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। जानिए दिवाली की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और ऐतिहासिक महत्व।
दिवाली पर शुभकामनाएं
New Delhi: हर साल की तरह इस वर्ष भी कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, दिवाली का पर्व त्रेतायुग से मनाया जा रहा है। जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि कार्तिक अमावस्या की रात दीप जलाकर अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाता है।
इसके अलावा यह भी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान इस दिन मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन को विशेष रूप से शुभ माना गया है। भक्त मानते हैं कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करता है, उसके घर में धन की कमी नहीं रहती।
इस साल दिवाली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जा रही है। दिल्ली और उत्तर भारत के लिए लक्ष्मी पूजन का उत्तम मुहूर्त शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक है। इसके अलावा कुछ और पूजन योग इस प्रकार हैं:
सुबह: 2:13 से 3:44
दोपहर: 1:19 से 3:33
शाम: 6:51 से 8:48
लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन के लिए कुछ आवश्यक वस्तुएं होती हैं गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र, कलश, गंगाजल, जनेऊ, लाल या पीला कपड़ा, चौकी, मिट्टी के दीपक, फल, मिठाई, घी, अक्षत, पान, सुपारी, कमल के फूल, धूप-अगरबत्ती, चांदी का सिक्का, कौड़ी, कुबेर यंत्र और पंचमेवा। पूजन के समय लक्ष्मी-गणेश को अलग-अलग स्थापित करना चाहिए। संयुक्त मूर्ति घर में स्थायी रूप से नहीं रखनी चाहिए।
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