क्या आप भी मुंह ढ़क कर सोते हैं? सर्दी में यह आदत बन सकती है सेहत की दुश्मन, जानिये क्यों

सर्दियों में मुंह ढककर सोने से ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड का अधिक सेवन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यह श्वसन संक्रमण, एलर्जी, सिरदर्द और हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। सुरक्षित नींद के लिए सही उपाय अपनाएं।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 2 December 2025, 4:34 PM IST
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New Delhi: सर्दियों में ठंड से बचने के लिए लोग अक्सर अपने मुंह और नाक को कंबल या रजाई से ढककर सोते हैं। यह आदत उस समय तो आरामदायक लग सकती है, लेकिन यह आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकती है। मुंह ढककर सोने से न केवल नींद की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, बल्कि यह श्वसन संक्रमणों और हृदय संबंधी जोखिमों को भी बढ़ा सकता है।

ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ना

जब आप मुंह को कंबल से ढकते हैं, तो शरीर द्वारा बाहर निकाला गया कार्बन डाइऑक्साइड कंबल के अंदर फंस जाता है। अगली सांस में, आप उसी हवा को दोबारा अंदर लेते हैं, जिसमें ऑक्सीजन की कमी होती है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जो आपके मस्तिष्क और हृदय पर दबाव डालती है। यह आदत सिरदर्द, थकान, मुंह का सूखना और दिनभर की कमजोरी का कारण बन सकती है।

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बच्चों में जोखिम बढ़ता है

12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। उनके शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और मुंह ढककर सोने से बच्चों में सांस की समस्याएं, सिरदर्द और अन्य शारीरिक परेशानी हो सकती है। इसलिए बच्चों के लिए यह आदत अधिक हानिकारक हो सकती है।

संक्रमण और एलर्जी का खतरा

सेहत पर गंभीर प्रभाव (Img- Freepik)

मुंह से निकलने वाली नमी कंबल या रजाई में फंस जाती है, जिससे अंदर का वातावरण गर्म और नम हो जाता है। यह वातावरण फफूंदी के विकास के लिए आदर्श होता है। ऐसे में, फफूंदी और बैक्टीरिया का बढ़ना शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है, और यह एलर्जी और श्वसन संक्रमण का कारण बन सकता है। मुंह ढककर सोने से ये एलर्जी पैदा करने वाले कण सीधे फेफड़ों में प्रवेश करते हैं, जिससे श्वसन संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है।

नींद की गुणवत्ता और हृदय पर असर

ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क रातभर बेचैन रहता है, जिससे गहरी नींद नहीं आती। गहरी नींद की कमी दिनभर की थकान और आलस्य का कारण बनती है। साथ ही, अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड के संपर्क में आने से रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है, जो हृदय गति और रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है।

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ठंड में सोने का सही तरीका

ठंड से बचने के लिए, मुंह ढकने के बजाय गर्म कपड़े पहनकर सोना चाहिए। सिर और पैरों से शरीर की अधिकांश गर्मी निकलती है, इसलिए इन्हें ढकने के लिए टोपी और मोजे पहनना बेहतर होता है। कंबल को केवल गर्दन तक रखें और सोने से पहले कमरे को हीटर से गर्म करने का प्रयास करें। हालांकि, हीटर का इस्तेमाल सोने से पहले बंद करना चाहिए ताकि कमरे में हवा ताजगी बनी रहे।

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  • New Delhi

Published : 
  • 2 December 2025, 4:34 PM IST

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