

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी संभावित मुलाकात से जोड़ा है। ट्रंप का दावा है कि भारत पर लगाए गए सेकेंडरी टैरिफ ने पुतिन को बातचीत के लिए राजी करने में भूमिका निभाई। इस पहल का उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक शांति समझौते की ओर बढ़ना है।
डोनाल्ड ट्रंप, व्लादिमीर पुतिन (Img: Google)
New Delhi: अमेरिका के राष्ट्रपति और रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के अपने प्रयासों से जोड़ा है। फॉक्स न्यूज़ रेडियो को दिए गए एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि भारत पर लगाए गए "सेकेंडरी टैरिफ" संभवतः रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनसे मिलने के लिए प्रेरित करने वाले कारणों में से एक हैं।
ट्रंप ने कहा, 'सबका कोई न कोई असर होता है' और यह भी जोड़ा कि भारत पर लगाए गए टैरिफ ने उन्हें 'रूस से तेल खरीदने से बाहर कर दिया।' गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है जो अमेरिका के किसी भी प्रमुख व्यापारिक साझेदार के लिए सबसे अधिक है।
पुतिन से मुलाकात की रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच यह बैठक शुक्रवार को अलास्का में होगी। इसे एक “फील-आउट” बैठक बताया गया है, जहां दोनों नेता एक-दूसरे की मंशाओं को समझने का प्रयास करेंगे। ट्रंप का मुख्य उद्देश्य इस बैठक के जरिए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की को दूसरी बैठक के लिए आमंत्रित करना है, ताकि एक संभावित शांति समझौते की नींव रखी जा सके।
ट्रंप ने कहा, 'अगर यह बैठक कुछ बनती है, तो मैं ज़ेलेन्स्की को तुरंत बुलाऊंगा, जहां भी हम होंगे।' उन्होंने इस प्रक्रिया को "एक शतरंज की बाज़ी" की तरह बताया, जहां हर चाल को सावधानी से सोचना पड़ता है।
भारत पर टैरिफ: नई दिल्ली की प्रतिक्रिया
भारत ने इन टैरिफ को "अनुचित, अवांछित और अस्वीकार्य" बताया है। भारत सरकार ने साफ कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी।
हालांकि अमेरिका और भारत हाल के वर्षों में चीन के मुकाबले रणनीतिक साझेदार बनकर उभरे हैं, लेकिन भारत का रूस के साथ घनिष्ठ संबंध और अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष ट्रंप की व्यापारिक नीतियों के केंद्र में आ गया है।
यूरोप की चिंता
ट्रंप-पुतिन वार्ता को लेकर यूरोपीय देशों में चिंता व्याप्त है। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और रूस के बीच कोई भी अचानक समझौता यूक्रेन को असहज और असमान शांति समझौते के लिए मजबूर कर सकता है। यूरोप को डर है कि दोनों नेता यूक्रेन पर दबाव बनाकर युद्ध समाप्ति की ओर बढ़ सकते हैं, जिससे पश्चिमी गठबंधन की रणनीति पर असर पड़ेगा।
ट्रंप का दावा: "छह युद्ध रोके"
साक्षात्कार में ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्होंने इस वर्ष छह युद्धों को रोका है। उन्होंने कहा, 'यूक्रेन मेरे लिए आसान होने वाला था, लेकिन यह सबसे कठिन साबित हुआ। यह युद्ध मुझे जो बाइडन से विरासत में मिला है।'