भारत की ऊर्जा नीति पर अमेरिकी सलाहकार का हमला, X पर फैक्ट-चेक के बाद भड़के नवारो; मस्क पर भी साधा निशाना

भारत के रूस से तेल खरीद को लेकर अमेरिकी सलाहकार पीटर नवारो की पोस्ट पर सोशल मीडिया ने फैक्ट-चेक कर सटीक जवाब दिया। भारत ने नवारो के आरोपों को बेबुनियाद बताया और अपनी ऊर्जा नीति का बचाव किया। विवाद के बीच ट्रंप की टिप्पणियों ने भी माहौल गरमा दिया है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 7 September 2025, 8:21 AM IST
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New Delhi: भारत के रूस से तेल खरीद को लेकर अमेरिका के पूर्व व्हाइट हाउस सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर तीखा हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत केवल मुनाफा कमाने के लिए रूस से तेल खरीद रहा है और यह कदम रूस की युद्ध मशीन को मजबूत करता है। लेकिन इस बार उनकी टिप्पणी सिर्फ विवादित ही नहीं रही, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर उनकी पोस्ट पर फैक्ट-चेक करते हुए कम्युनिटी नोट जोड़ा गया। इसने पूरी बहस को नया मोड़ दे दिया।

फैक्ट-चेक से भड़के नवारो

पीटर नवारो की पोस्ट पर कम्युनिटी नोट में स्पष्ट किया गया कि भारत का रूस से तेल आयात लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से किया जा रहा है। साथ ही यह भी जोड़ा गया कि भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा। X यूजर्स ने यह भी इंगित किया कि अमेरिका खुद भी कुछ रूसी वस्तुओं का आयात करता है, जो उसकी दोहरी नीति को दर्शाता है।

"यूक्रेनी मारे जा रहे हैं और भारत मुनाफा कमा रहा है"

अपनी पोस्ट में नवारो ने यह भी कहा, “भारत केवल मुनाफे के लिए रूस से तेल खरीद रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत ऐसा नहीं करता था। अब भारत की सरकार रूस को समर्थन देकर यूक्रेनियों की हत्या में मदद कर रही है।” नवारो ने अमेरिका की नौकरियों के नुकसान की बात करते हुए भारत पर निशाना साधा और कहा कि भारतीय सरकार का “स्पिन मशीन” बहुत तेज़ी से काम कर रहा है।

ऊर्जा नीति पर अमेरिकी सलाहकार का हमला

भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने पीटर नवारो के बयानों को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में साफ कहा कि भारत का तेल आयात पूरी तरह से ऊर्जा सुरक्षा, वैश्विक आपूर्ति संतुलन और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा और उसकी नीति पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर आधारित है। भारत का यह भी कहना है कि उसने हमेशा वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर बनाए रखने की दिशा में जिम्मेदार भूमिका निभाई है और उसका यह कदम अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों और कूटनीति के अनुरूप है।

ट्रंप की टिप्पणियों से और भड़का मामला

इस विवाद के बीच पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियां भी चर्चा का विषय बन गई हैं। ट्रंप ने दावा किया कि भारत और रूस अब चीन के और करीब आ रहे हैं और अमेरिका “भारत और रूस को चीन के हाथों खो चुका है।” उन्होंने भारत के आयात पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है और कहा है कि भारत की तेल खरीद सीधे तौर पर रूस को यूक्रेन युद्ध में मदद पहुंचा रही है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत अब रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश है, जबकि अमेरिका ने युद्ध शुरू होते ही आयात बंद कर दिया था। उम्मीद है कि भारत का भविष्य अच्छा हो।”

ऊर्जा जरूरतें, न कि राजनीतिक गठजोड़

भारत का कहना है कि वैश्विक संकट के समय ऊर्जा खरीद का उद्देश्य केवल राष्ट्रीय ऊर्जा जरूरतें पूरी करना और किफायती विकल्पों को चुनना है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने कभी रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी पक्ष को समर्थन नहीं दिया है, बल्कि दोनों देशों से संवाद और शांति की अपील करता रहा है। भारत यह मानता है कि तेल खरीद जैसे निर्णय रणनीतिक, आर्थिक, और तत्कालीन वैश्विक परिस्थिति पर आधारित होते हैं, न कि किसी सैन्य गठबंधन या राजनीतिक लाभ के लिए। इसलिए, भारत की नीतियों को किसी भी सैन्य सहयोग या समर्थन की तरह देखना तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है।

X पर अमेरिकी आलोचना को नहीं मिला समर्थन

X (पूर्व में ट्विटर) पर नवारो की पोस्ट पर उपयोगकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। सैकड़ों यूजर्स ने उनके दावों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया। कई ने उदाहरण देकर बताया कि कैसे अमेरिका भी रूस से कुछ वस्तुएं आयात कर रहा है। कुछ यूजर्स ने यह भी लिखा कि भारत एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र है और अपनी नीतियों का निर्धारण अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए करता है।

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