

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रक्षा विभाग (Department of Defense) का नाम बदलकर ‘डिपार्टमेंट ऑफ वॉर’ कर दिया है। ट्रंप के अनुसार यह बदलाव अमेरिका की सैन्य शक्ति और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। 1947 के बाद पहली बार विभाग को फिर से पुराने नाम से पुकारा जाएगा।
ट्रंप ने बदला अमेरिका के रक्षा विभाग का नाम
Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार, 5 सितंबर 2025 को एक ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए रक्षा विभाग (Department of Defense) का नाम बदलकर ‘डिपार्टमेंट ऑफ वॉर (DoW)’ कर दिया। इसके साथ ही पेंटागन से पुराने नाम का बोर्ड हटाकर उसकी जगह नया नाम लिख दिया गया। अब अमेरिका के रक्षा सचिव को भी ‘सेक्रेटरी ऑफ वॉर’ कहा जाएगा।
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य वैश्विक संकटों के बीच अमेरिका की सैन्य नीति पर सवाल उठ रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि यह नाम अमेरिका की ताकत और दृढ़-निश्चय को स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा।
अमेरिका में युद्ध विभाग (Department of War) की शुरुआत 1789 में राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन ने की थी। उस समय यह विभाग सेना और नेवी से जुड़ी सभी जिम्मेदारियों को संभालता था। द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद, 1947 में इसका नाम बदलकर रक्षा विभाग (Department of Defense) कर दिया गया था।
डिपार्टमेंट ऑफ वॉर
ट्रंप ने आदेश जारी करते हुए कहा कि “वॉर डिपार्टमेंट” नाम के साथ ही अमेरिका ने 1812 का युद्ध, प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध जैसी बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने इसे अमेरिका की पुरानी सैन्य गौरवशाली परंपरा की वापसी बताया।
ट्रंप के अनुसार, बीते दशकों में अमेरिका ने कई युद्धों में निर्णायक सफलता हासिल नहीं की। वियतनाम युद्ध और अफगानिस्तान संघर्ष में अमेरिका को हार का सामना करना पड़ा, जबकि खाड़ी युद्ध (1991) में जीत भी अपेक्षाकृत सीमित रही। रूस-यूक्रेन युद्ध ने अमेरिका की सैन्य रणनीति और सहयोगी देशों पर निर्भरता को कमजोर साबित किया।
इसी पृष्ठभूमि में ट्रंप ने कहा कि “रक्षा विभाग” शब्द केवल सुरक्षा को दर्शाता है, जबकि “युद्ध विभाग” हमारे राष्ट्र की रक्षा के साथ-साथ किसी भी समय युद्ध लड़ने और जीतने की क्षमता और इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि नया नाम अमेरिका की नीति को और स्पष्ट करता है, जिसमें राष्ट्रीय हितों की रक्षा और दुश्मनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की तैयारी प्रमुख है। उनके अनुसार, “शक्ति के माध्यम से ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है।”
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने भी इस बदलाव का समर्थन किया और कहा कि अमेरिका को हमेशा युद्ध की तैयारी में रहना चाहिए ताकि शांति कायम रखी जा सके।
अमेरिका के पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसमें करीब 13 लाख सैनिक सक्रिय हैं। उसका रक्षा बजट लगभग 997 बिलियन डॉलर (करीब एक ट्रिलियन डॉलर) है, जो पूरी दुनिया में सैन्य खर्च का लगभग 37 प्रतिशत है।
अमेरिका ने पूरी दुनिया को अपनी 11 थिएटर कमांड में बांट रखा है। उसके पास 1800 से ज्यादा लड़ाकू विमान, 5000 से अधिक मिलिट्री एयरक्राफ्ट, 300 से ज्यादा जंगी जहाज और लगभग 5000 परमाणु हथियार हैं।
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