

ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के बाद स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें पूरा अपडेट
ईरान युध्द (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के बाद अब हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिका के इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है और उसके करीबी देशों ने भी उसे संयम बरतने की सलाह दी है। सऊदी अरब ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि इससे पश्चिम एशिया में अस्थिरता और बढ़ेगी।
जवाबी कार्रवाई की तैयारी में ईरान
रक्षा विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि ईरान अब जवाबी हमला करने की पूरी तैयारी में है। यह माना जा रहा है कि जिस तरह इजरायल के हमले के बाद ईरान ने जोरदार जवाब दिया था, ठीक उसी तरह वह अब अमेरिका को भी सबक सिखाने की कोशिश करेगा। हालाँकि, सीधे अमेरिका पर हमला करना ईरान के लिए काफी कठिन है, लेकिन वह अमेरिका के मध्य पूर्व में फैले सैन्य ठिकानों और दूतावासों को निशाना बना सकता है।
ईरान के टारगेट पर अमेरिकी एयरबेस
ईरान के आसपास कई ऐसे अमेरिकी सैन्य ठिकाने हैं जो उसकी पहुंच में हैं। इनमें सबसे प्रमुख है कतर का अल उदीद एयरबेस, जो अमेरिका का मध्य एशिया में सबसे बड़ा हवाई अड्डा है। फारस की खाड़ी में मौजूद अमेरिकी नौसेना का पांचवां बेड़ा भी ईरान के निशाने पर हो सकता है।
अल उदीद एयरबेस (सोर्स-इंटरनेट)
ईरान ने पहले भी इराक के अल असद एयरबेस पर हमला किया था, जहां हजारों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। इसके अलावा इराक के एरबिल में स्थित हरीर एयरबेस, सीरिया का अल तांफ गैरिसन, कुवैत का अली अल सलेम एयरबेस, और यूएई का अल धाफरा एयरबेस भी संभावित लक्ष्य हैं। इन ठिकानों से अमेरिका एफ-22 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का संचालन करता है।
अमेरिकी दूतावास भी खतरे में
मध्य पूर्व के देशों में फैले अमेरिकी दूतावास भी ईरान के संभावित हमलों की सूची में हैं। जानकारों का मानना है कि ईरान, अमेरिका को सीधे टकराव में खींचने के बजाय रणनीतिक रूप से इन ठिकानों पर हमला कर सकता है जिससे क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव को कमजोर किया जा सके।
तीसरे विश्व युद्ध की आशंका?
ईरान की प्रतिक्रिया को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। खबर है कि ईरान ने रूस से बातचीत शुरू कर दी है, जिससे भू-राजनीतिक समीकरण और उलझ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात नहीं संभले तो यह संघर्ष विश्व युद्ध की दिशा में भी बढ़ सकता है।
होर्मुज जलडमरूमध्य पर मंडराता खतरा
ईरान के पास एक और बड़ा विकल्प है होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना। यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्गों में से एक है, जिससे होकर वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा गुजरता है। अगर ईरान इस जलमार्ग को बंद करता है, तो पूरी दुनिया में तेल और गैस की भारी कमी हो सकती है। भारत और अमेरिका जैसे देशों की ऊर्जा आपूर्ति पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
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