

क्या आप जानते हैं कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां नागरिकों को आयकर नहीं देना पड़ता? जानिए यूएई, ब्रुनेई, बहामास जैसे देशों की कर व्यवस्था, और कैसे ये सरकारें बिना इनकम टैक्स वसूले भी आर्थिक रूप से संपन्न हैं।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)
New Delhi: जब बात टैक्स की होती है, तो भारत समेत दुनिया के कई बड़े देशों में यह नागरिकों की आय का अहम हिस्सा छीन लेता है। हर साल आम बजट में टैक्स दरों को लेकर चर्चा होती है, और आम लोग यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि इस बार सरकार उनकी आय में से कितना हिस्सा लेगी। लेकिन हैरानी की बात ये है कि दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां के नागरिकों को अपनी कमाई में से एक भी पैसा सरकार को नहीं देना पड़ता।
भारत में बढ़ रहा टैक्स का बोझ
भारत जैसे विकासशील देश में टैक्स का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं, सेवाएं और आय के स्रोत भी किसी न किसी रूप में टैक्स के दायरे में हैं। चाहे वह जीएसटी (GST) हो या इनकम टैक्स, नागरिकों को हर स्तर पर सरकार को टैक्स चुकाना पड़ता है।
ये हैं टैक्स फ्री देश
हालांकि, खाड़ी देशों में स्थिति पूरी तरह अलग है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, कतर, बहरीन, ओमान और कुवैत जैसे देशों में व्यक्तिगत आयकर (Personal Income Tax) नहीं लिया जाता। वहां की सरकारें अपना खर्चा तेल और गैस के निर्यात, पर्यटन और अप्रत्यक्ष करों (VAT) से पूरा करती हैं। इसीलिए वहां काम करने वाले नागरिकों और प्रवासियों की पूरी सैलरी उनके बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर होती है।
टैक्स फ्री देश (सोर्स-गूगल)
ब्रुनेई, मोनाको और बहामास जैसे देश भी हैं शामिल
खाड़ी देशों के अलावा ब्रुनेई, मोनाको, नाउरू, बहामास जैसे एशिया और यूरोप के छोटे-बड़े देशों में भी इनकम टैक्स नहीं लगता।
ब्रुनेई: प्राकृतिक गैस और तेल का बड़ा निर्यातक देश है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत है।
बहामास और नाउरू: यहां का पर्यटन और मछली उद्योग इतना मजबूत है कि सरकार को व्यक्तिगत टैक्स की जरूरत ही नहीं पड़ती।
मोनाको: यह एक यूरोपीय रियासत है जो दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता है और टैक्स फ्री जीवनशैली के लिए मशहूर है।
सरकारें कैसे चलती हैं बिना टैक्स वसूली के?
इन देशों की सरकारें अपनी जरूरतों को तेल, गैस, टूरिज्म और वैट जैसे अप्रत्यक्ष टैक्स के जरिए पूरा करती हैं। इसके अलावा विदेशी निवेश विशेष व्यापार समझौते और सीमित जनसंख्या भी उनके राजस्व मॉडल को आसान बनाती है।
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