

रूस के कामचटका में जुलाई में अब तक 5 भूकंप दर्ज किए गए हैं, जिनमें से एक की तीव्रता 7.4 रही। इस भूकंपीय हलचल के बाद अमेरिका और जापान सहित कई देशों में अलर्ट जारी किया गया है।
कामचटका में बार-बार भूकंप से दहशत (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचटका प्रायद्वीप में जुलाई महीने में अब तक पांच भूकंप आ चुके हैं, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। इन भूकंपों में से सबसे शक्तिशाली झटका 7.4 तीव्रता का था, जिसका केंद्र जमीन से लगभग 20 किलोमीटर नीचे था। लगातार आ रहे भूकंपों से न केवल रूस, बल्कि अमेरिका और जापान जैसे देशों में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से बेहद सक्रिय है और अतीत में भी यहां भारी तबाही हो चुकी है। 4 नवंबर 1952 को कामचटका में रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने भले ही जानमाल का नुकसान कम किया, लेकिन हवाई में 9.1 मीटर ऊंची लहरें उठी थीं, जो सुनामी का कारण बनी थीं।
भूकंप के तेज झटके से तबाही (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
भूकंप के बाद अमेरिका के अलास्का स्थित नेशनल सुनामी वॉर्निंग सेंटर ने अल्यूशियन आइलैंड के कुछ हिस्सों में सुनामी की चेतावनी जारी की है। साथ ही कैलिफोर्निया, ओरेगन, वॉशिंगटन और हवाई जैसे राज्यों के समुद्री इलाकों में निगरानी अलर्ट लागू किया गया है। इस चेतावनी के तहत अलास्का की समुद्री तट रेखा के बड़े हिस्से को शामिल किया गया है।
टोक्यो यूनिवर्सिटी के भूकंप विज्ञानी शिनिची सकाई ने NHK से बातचीत में बताया कि अगर भूकंप का केंद्र उथला हो, तो उसका असर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक फैल सकता है और यह जापान जैसे देशों के लिए सुनामी का कारण बन सकता है। जापान का भूगोल इसे और संवेदनशील बनाता है, क्योंकि यह देश 'पैसिफिक रिंग ऑफ फायर' पर स्थित है — जहां दुनिया के सबसे ज्यादा भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं।
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग होता है। इस स्केल पर हर एक यूनिट बढ़ने का मतलब है कि भूकंप की ताकत पिछले स्तर से 10 गुना अधिक होती है।
0–1.9: सिर्फ सिस्मोग्राफ से पकड़ा जा सकता है
2–2.9: हल्का कंपन
3–3.9: ट्रक गुजरने जैसा अहसास
4–4.9: खिड़कियों में दरार, फ्रेम गिर सकते हैं
5–5.9: भारी फर्नीचर हिल सकता है
6–6.9: इमारतों की नींव को नुकसान
7–7.9: इमारतें गिर सकती हैं, पाइपलाइन फटने का खतरा
8–8.9: बड़े पुल भी ढह सकते हैं
9 और उससे ज्यादा: तबाही का मंजर, सुनामी की आशंका बढ़ जाती है
धरती की सतह कई टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है, जो लगातार सरकती रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा इकट्ठा हो जाता है। जैसे ही यह दबाव टूटता है, धरती में अचानक कंपन शुरू होता है, जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं।
कामचटका, अलास्का और जापान ऐसे इलाकों में आते हैं जहां प्लेट टेक्टॉनिक्स बेहद सक्रिय हैं। यही वजह है कि यहां बार-बार भूकंप आते हैं और सुनामी का भी खतरा बना रहता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, जिस प्रकार लगातार झटके आ रहे हैं, वह यह संकेत हो सकता है कि क्षेत्र में टेक्टोनिक अस्थिरता बढ़ रही है। अगर बड़े पैमाने पर प्लेट मूवमेंट हुआ तो अगले कुछ दिनों में और शक्तिशाली भूकंप और सुनामी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
फिलहाल दुनिया के कई हिस्से कामचटका के इन झटकों पर नजर बनाए हुए हैं और आपात चेतावनी तंत्र सक्रिय कर दिए गए हैं।