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मयमनसिंह जिले में 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की ईशनिंदा के आरोप में हत्या कर दी गई। हत्या के बाद शव को पेड़ से लटकाकर आग के हवाले कर दिया गया था। अब तक 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सरकार ने दोषियों को सख्त सजा देने का आश्वासन दिया है।
बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा
Dhaka: 27 वर्षीय दीपू चंद्र दास की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या के मामले में बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह घटना तब हुई जब युवक पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर भीड़ ने उसे सजा देने का प्रयास किया। इस हत्याकांड ने न केवल बांग्लादेश बल्कि दुनिया भर में लोगों को झकझोर दिया है। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस बात की जानकारी दी कि इस मामले में अब तक कार्रवाई करते हुए 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद उसका शव एक पेड़ से लटकाकर उसमें आग लगा दी गई थी। यह हत्या, जिसे ईशनिंदा के आरोप में अंजाम दिया गया था, ने पूरे देश में आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। दीपू पर आरोप था कि उसने धार्मिक भावना को आहत करने वाली बात कही थी, हालांकि इस आरोप की सच्चाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हत्या के बाद शव के साथ किए गए बर्बरता ने इस घटना को और भी अधिक निंदनीय बना दिया।
इस मामले में बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि स्थानीय पुलिस ने तीन और संदिग्धों को गिरफ्तार किया। इन गिरफ्तारियों को लेकर मोहम्मद यूनुस ने बताया कि सभी आरोपियों को विभिन्न इलाकों में चलाए गए विशेष अभियानों के तहत पकड़ा गया। गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि न्याय की प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष होगी और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।
गिरफ्तार आरोपियों में सात नामों का खुलासा किया गया है।
1. मोहम्मद लिमोन सरकार (19)
2. मोहम्मद तारेक हुसैन (19)
3. मोहम्मद मानिक मिया (20)
4. इरशाद अली (39)
5. निजुम उद्दीन (20)
6. आलमगीर हुसैन (38)
7. मोहम्मद मिराज हुसैन अकोन (46)
इसके अलावा, स्थानीय पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों में मोहम्मद अजमोल हसन सगीर (26), मोहम्मद शाहिन मिया (19) और मोहम्मद नजमुल (21) शामिल हैं।
बांग्लादेश सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि इस मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी और दोषियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा दी जाएगी। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा कि यह घटना समाज में तनाव और नफरत फैलाने का काम कर रही है और सरकार इसे गंभीरता से ले रही है।
दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद पूरे बांग्लादेश में भारी गुस्सा और आक्रोश का माहौल बना हुआ है। मानवाधिकार संगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है। कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना को धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक बताते हुए बांग्लादेश सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है।
इस हत्या ने बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। दीपू चंद्र दास एक हिंदू युवक थे, और इस हत्या के बाद से यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सरकार के कदम पर्याप्त हैं। हालांकि, सरकार ने आश्वासन दिया है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन इस घटना ने बड़ी संख्या में लोगों को असुरक्षा महसूस कराई है।