

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी सम्मेलन में पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ फैसले पर अप्रत्यक्ष हमला बोला। कहा-किसानों का हित सर्वोपरि है, भारत कभी समझौता नहीं करेगा।
पीएम मोदी का अमेरिका को दो टूक संदेश
New Delhi: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए देश के किसानों के पक्ष में एक सशक्त और स्पष्ट संदेश दिया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भारत कभी भी अपने किसानों के हितों के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे यह भी पता है कि इसके लिए मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन भारत इसके लिए पूरी तरह तैयार है।” उनके इस बयान को अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी के जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जिसने हाल ही में भारत पर 50% तक टैरिफ लागू किया है।
प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन को दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन को याद करते हुए उन्हें ‘मां भारती का सपूत’ बताया और कहा कि “डॉ. स्वामीनाथन का योगदान किसी एक कालखंड या स्थान तक सीमित नहीं था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को मार्ग दिखाते रहेंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह सौभाग्य मिला कि उनकी सरकार ने डॉ. स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया।
गुजरात में स्वामीनाथन के योगदान की चर्चा
प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब राज्य कृषि संकट से जूझ रहा था। सूखा और चक्रवात आम बात थी। “उस समय हमने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की, जिसमें डॉ. स्वामीनाथन ने विशेष रुचि ली और अहम सुझाव दिए। उनकी सलाहों से योजना को बड़ी सफलता मिली,” पीएम ने कहा।
हरित क्रांति से आगे की सोच
प्रधानमंत्री ने डॉ. स्वामीनाथन के कार्यों को याद करते हुए कहा कि उनकी सोच केवल हरित क्रांति तक सीमित नहीं थी। “वो लगातार रसायनों के अत्यधिक उपयोग और मोनो-कल्चर खेती के खतरों को लेकर किसानों को जागरूक करते रहे,” उन्होंने बताया।
किसानों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, खेती की लागत कम करने और आय के नए स्रोत विकसित करने के लिए लगातार काम कर रही है। “हमारी नीतियों का फोकस सिर्फ मदद पर नहीं, बल्कि किसानों में आत्मविश्वास जगाने पर है,” उन्होंने कहा।
पीएम मोदी के इस भाषण को वैश्विक मंच पर भारत की आत्मनिर्भर कृषि नीति के एक मजबूत वक्तव्य के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि भारत के लिए किसान सिर्फ एक वोट बैंक नहीं, बल्कि विकास की रीढ़ हैं।