

अमेरिका ने H-1B वीजा के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए आवेदन की सालाना फीस 100,000 डॉलर कर दी है। अब तक यह फीस 2,000 से 5,000 डॉलर के बीच होती थी. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम अमेरिकी नौकरियों को सुरक्षित करने और घरेलू रोजगार को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
H-1B वीजा की बढ़ी फीस
New Delhi: एच-1बी वीजा आवेदकों पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर का भारी वार्षिक शुल्क लगाने के ट्रंप प्रशासन के फैसले से कंपनियों के नए आवेदन कम होंगे। इसके अलावा आने वाले महीनों में अमेरिका में आउटसोर्सिंग बढ़ सकती है। वहीं, अमेरिका के इस फैसले से कंपनियां भारत की ओर रुख कर सकती हैं।
नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच1-बी वीजा शुल्क को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर करने का निर्णय अमेरिकी इनोवेशन को प्रभावित करेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि फैसले से प्रयोगशालाओं, पेटेंट और स्टार्टअप की अगली लहर अब बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे भारतीय शहरों की ओर रुख करेगी, जिससे भारत के इनोवेशन को नई गति मिलेगी।
अमिताभ कांत ने कहा कि वैश्विक प्रतिभा के लिए अमेरिका के दरवाजे बंद होने से न्यू जेनरेशन की लैब्स, पेटेंट, इनोवेशन और स्टार्टअप बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे शहरों की ओर बढ़ेंगी। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अत्यधिक कुशल श्रमिकों के लिए एक लाख डॉलर का वार्षिक वीजा शुल्क लगाया जाएगा।
अमेरिका ने H-1B वीजा के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए आवेदन की सालाना फीस 100,000 डॉलर कर दी है। अब तक यह फीस 2,000 से 5,000 डॉलर के बीच होती थी. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम अमेरिकी नौकरियों को सुरक्षित करने और घरेलू रोजगार को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।