अमेरिका में भारतीय इंजीनियर को पुलिस ने मारी गोली, परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार, जानें पूरा मामला

कैलिफोर्निया में भारतीय इंजीनियर मोहम्मद निजामुद्दीन को पुलिस ने गोली मार दी। रूममेट के साथ विवाद के बाद पुलिस ने उसे चार गोलियां मारीं। निजामुद्दीन ने नस्लीय उत्पीड़न और नौकरी से जुड़ी समस्याओं के बारे में पोस्ट किए थे।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 19 September 2025, 10:47 AM IST
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California: अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में एक भारतीय इंजीनियर मोहम्मद निजामुद्दीन की पुलिस ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना 3 सितंबर की सुबह सांता क्लारा जिले में घटी। निजामुद्दीन, जो तेलंगाना के महबूबनगर का निवासी था, अपने रूममेट के साथ कथित तौर पर किसी मामूली विवाद में उलझ गया था, जिसके बाद पुलिस को बुलाया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, निजामुद्दीन को चार गोलियां मारी गईं और अस्पताल में इलाज के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया गया।

किसी को मारने की दे रहा था धमकी

पुलिस के अनुसार, घटना आइज़नहावर ड्राइव स्थित एक घर के भीतर हुई थी। जब पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि निजामुद्दीन के हाथ में चाकू था और वह किसी पर हमला करने की धमकी दे रहा था। पुलिस के मुताबिक, स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अधिकारियों को गोली चलानी पड़ी। पुलिस प्रमुख कोरी मॉर्गन ने कहा कि यह कार्रवाई स्थिति को और अधिक बिगड़ने से बचाने के लिए की गई थी।

नौकरी से निकाले जाने से थे परेशान

जानकारी के अनुसार, मोहम्मद निजामुद्दीन, जो फ्लोरिडा से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त कर चुके थे, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कैलिफोर्निया में काम कर रहे थे। हालांकि, बाद में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया और निजामुद्दीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर आरोप लगाया था कि उन्हें गलत तरीके से निकाल दिया गया और उनका वेतन भी घटा दिया गया। इसके अलावा, उन्होंने नस्लीय उत्पीड़न की भी शिकायत की थी।

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पिता ने विदेश मंत्रालय से लगाई मदद की गुहार

यह घटना तब सामने आई, जब मोहम्मद निजामुद्दीन के पिता मोहम्मद हसनुद्दीन को उनके बेटे की मौत की खबर मिली। हसनुद्दीन ने विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई और कहा कि वे अपने बेटे का शव भारत लाना चाहते हैं। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की भी अपील की।

मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने निजामुद्दीन के परिवार के साथ मुलाकात की और मामले की गंभीरता को लेकर भारतीय सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। उनका कहना है कि इस मामले की जांच न केवल अमेरिका बल्कि भारत में भी होनी चाहिए ताकि दोषियों को न्याय मिले।

पुलिस ने दी सफाई

सांता क्लारा पुलिस के मुताबिक, जब उन्होंने मौके पर पहुंचकर चाकूबाजी की सूचना पर कार्रवाई की, तो वे निजामुद्दीन के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन, उसने पुलिस की बात नहीं मानी और चाकू से हमला करने की धमकी दी। इसके बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी।

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हालांकि, निजामुद्दीन के परिवार और उनके दोस्तों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। वे यह जानना चाहते हैं कि अगर निजामुद्दीन सिर्फ एक विवाद में शामिल था, तो उसे गोली मारने की क्या आवश्यकता थी। परिवार का कहना है कि यह पुलिस की अधिक शक्ति का उदाहरण हो सकता है और वे चाहते हैं कि मामले की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो।

बेटे का शव भारत लाने की अपील

इस घटना के बाद, निजामुद्दीन के पिता ने भारतीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अपने बेटे का शव भारत लाने की अपील की है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर अमेरिकी दूतावास और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय काउंसलेट से भी मदद की मांग की है। परिवार का कहना है कि वे चाहते हैं कि इस मामले में एक स्वतंत्र जांच हो ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके।

नस्लीय उत्पीड़न की संभावना

निजामुद्दीन ने अपनी मौत से पहले कई बार सोशल मीडिया पर नस्लीय उत्पीड़न का जिक्र किया था। उन्होंने यह आरोप लगाया था कि उन्हें अपने काम के दौरान नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा। इन आरोपों के कारण मामला और भी जटिल हो गया है और अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या नस्लीय उत्पीड़न के कारण ही निजामुद्दीन की मौत हुई।

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