US Tariff: टैरिफ के बावजूद भारत-रूस के बीच बढ़ रहा तेल और हथियारों का व्यापार, क्या अमेरिका रोक पाएगा ये डील?

भारत और रूस के बीच ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग एक नई दिशा लेने जा रहा है।भारत को रूस से सस्ता तेल और S-400 मिसाइल सिस्टम की नई खेप मिल सकती है। यह डील ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 3 September 2025, 11:40 AM IST
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New Delhi: भारत और रूस के बीच ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग एक नई दिशा लेने जा रहा है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने भारत को अपने यूरल क्रूड ऑयल पर बड़ी छूट की पेशकश की है। यह ऑफर सितंबर के अंत और अक्टूबर में लोड होने वाले कार्गो के लिए दिया गया है। रूस ने भारत को ब्रेंट की तुलना में प्रति बैरल 3 से 4 डॉलर तक की छूट देने का प्रस्ताव रखा है। जबकि अगस्त में यह डिस्काउंट करीब 2.5 डॉलर और जुलाई में लगभग 1 डॉलर प्रति बैरल था। इससे साफ है कि भारत को आने वाले महीनों में ऊर्जा क्षेत्र में और राहत मिल सकती है।

हथियारों का व्यापार

इसी बीच, भारत और रूस के बीच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त आपूर्ति पर भी बातचीत जारी है। साल 2018 में दोनों देशों के बीच 5.5 अरब डॉलर का समझौता हुआ था जिसके तहत भारत को पांच S-400 यूनिट मिलने थे। अब तक तीन यूनिट भारत को मिल चुके हैं और बाकी दो यूनिट 2026–27 तक सौंपे जाएंगे। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, S-400 सिस्टम ने हाल ही में भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" में अहम भूमिका निभाई थी जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया था।

S-400 missile (Img: Google)

S-400 मिसाइल (Img: Google)

नई डिलीवरी पर दोनों देशों के बीच बातचीत

रूसी अधिकारी दिमित्री शुगायेव ने पुष्टि की है कि इस क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं बढ़ रही हैं और नई डिलीवरी पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। यह कदम ऐसे समय आया है जब अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है। दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। उनका आरोप है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर अरबों डॉलर का मुनाफा कमा रहा है।

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मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर महीने में भारत को रूस से तेल की आपूर्ति अगस्त की तुलना में 10–20% तक बढ़ सकती है। यानी रोजाना करीब 1.5 से 3 लाख बैरल अतिरिक्त तेल भारत को मिल सकता है। यह स्थिति अमेरिका के लिए चिंता का कारण बन गई है। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने भारत के सस्ते तेल व्यापार को लेकर सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर आर्बिट्राज कर रहा है और युद्ध के समय में अरबों डॉलर का फायदा उठा रहा है। यह अस्वीकार्य है।'

भारत-रूस डील्स को निशाना बनाया

अगस्त की शुरुआत में ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाने का ऐलान करते हुए सीधे भारत-रूस डील्स को निशाना बनाया था। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अपनी बड़ी सैन्य डील्स रूस से की हैं और ऊर्जा क्षेत्र में भी रूस का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है।

इस बीच, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के दौरान चीन के तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई। इस बैठक में दोनों नेताओं ने भारत-रूस रिश्तों को मजबूत और भरोसेमंद बताया। पुतिन ने पीएम मोदी को अपना प्रिय मित्र बताते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्ते डायनेमिक हैं और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

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विशेषज्ञों का मानना है कि ऊर्जा और रक्षा सहयोग में यह नई डील भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगी। हालांकि, अमेरिका का दबाव भारत के लिए कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी कर सकता है। लेकिन मौजूदा हालात में भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस के साथ सहयोग बढ़ाने के पक्ष में दिखाई दे रहा है।

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