

कनाडा में खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने वैंकूवर स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर कब्जा करने की धमकी दी है। संगठन ने भारत-कनाडा संबंधों की बहाली का विरोध करते हुए भारतीयों को दूतावास क्षेत्र से दूर रहने को कहा है।
कनाडा में खालिस्तानियों का उपद्रव बढ़ा (Img: Google)
Canada: कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियां एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सिख फॉर जस्टिस (SFJ) नामक संगठन ने भारत के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाते हुए वैंकूवर स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर कब्जा करने की धमकी दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संगठन ने 18 सितंबर 2025 को दूतावास पर कब्जा करने की योजना का ऐलान किया है और भारतीय नागरिकों को उस क्षेत्र से दूर रहने की चेतावनी भी दी है।
कनाडा में खालिस्तानी प्रदर्शन तेज (Img: google)
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध हाल ही में सामान्य हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, खालिस्तानी संगठन इस पहल से नाराज है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, SFJ ने गुरुवार को दूतावास को घेरने की धमकी देते हुए यह बयान दिया है कि भारतीय वाणिज्य दूतावास खालिस्तान जनमत संग्रह के प्रचारकों के खिलाफ जासूसी नेटवर्क चला रहा है, जिससे उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
संगठन ने एक पोस्टर भी जारी किया है, जिसमें भारत के नए उच्चायुक्त दिनेश पटनायक की तस्वीर पर गन का निशान बनाया गया है। इससे साफ संकेत मिलता है कि संगठन भारत की कूटनीतिक गतिविधियों को लेकर असहज है। अपने प्रचार पत्र में SFJ ने लिखा है कि दो साल पहले, 18 सितंबर 2023 को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने संसद में कहा था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट्स की भूमिका की जांच चल रही है। इसी कारण SFJ को आशंका है कि भारतीय दूतावास उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है।
इस महीने की शुरुआत में कनाडाई सरकार ने एक आंतरिक रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि देश में खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी है। रिपोर्ट में भारत के खिलाफ आतंक फैलाने के लिए फंडिंग के स्रोतों का भी उल्लेख किया गया। बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल एसवाईएफ जैसे संगठन कनाडा में आतंकवादी समूहों के रूप में सूचीबद्ध हैं। इन संगठनों के जरिए विभिन्न देशों से फंडिंग प्राप्त कर भारत-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
भारत और कनाडा के बीच रिश्तों की बहाली की दिशा में प्रयास जारी हैं, लेकिन SFJ जैसे संगठनों की धमकियों से स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है। दोनों देशों की सरकारों ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ऐसे संगठनों की गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह न सिर्फ कूटनीतिक संबंधों पर असर डालेगा बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी चिंता का विषय बनेगा।
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