“5 हजार H-1B वीजा धारकों ने छीनी अमेरिकियों की जॉब्स”, वीजा फीस बढ़ाने पर ट्रंप सरकार ने दिया तर्क

व्हाइट हाउस ने कहा कि नई H-1B वीजा याचिकाओं पर 1 लाख डॉलर फीस देनी होगी। यह नियम 21 सितंबर से लागू हुआ है। पुराने धारकों और मौजूदा कर्मचारियों पर इसका असर नहीं पड़ेगा।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 21 September 2025, 4:32 PM IST
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Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित फैसले पर व्हाइट हाउस ने शनिवार को एक ‘फैक्टशीट’ जारी कर विस्तृत जानकारी दी। इसके तहत अब नई H-1B वीजा याचिकाओं पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की भारी-भरकम फीस चुकानी होगी। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस कदम का मकसद अमेरिकी रोजगार की रक्षा करना और घरेलू कर्मचारियों को विदेशी कामगारों से प्रतिस्थापित होने से बचाना है।

आईटी सेक्टर में H-1B कर्मचारियों का दबदबा

फैक्टशीट में बताया गया कि आईटी सेक्टर में H-1B वीजा धारकों की हिस्सेदारी 2003 में 32% थी, जो अब बढ़कर 65% से अधिक हो गई है। वहीं, कंप्यूटर साइंस और कंप्यूटर इंजीनियरिंग पढ़ने वाले अमेरिकी छात्रों की बेरोजगारी दर क्रमशः 6.1% और 7.5% तक पहुंच गई है, जो अन्य विषयों के स्नातकों की तुलना में लगभग दोगुनी है। 2000 से 2019 के बीच विदेशी STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) कामगारों की संख्या दोगुनी हो गई, जबकि कुल STEM रोजगार में सिर्फ 44.5% की वृद्धि हुई।

H-1B वीजा शुल्क पर बवाल

कंपनियों की छंटनी और H-1B भर्तियां

व्हाइट हाउस ने कई कंपनियों का उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ बड़ी कंपनियों ने हजारों अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया, लेकिन H-1B वीजा पर विदेशी कर्मचारियों की भर्ती बढ़ाई। एक कंपनी को वर्ष 2025 में 5,189 H-1B वीजा मंजूर हुए, जबकि उसने इसी दौरान 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों को बाहर कर दिया। दूसरी कंपनी को 1,698 H-1B वीजा मंजूर हुए लेकिन उसने जुलाई 2025 में 2,400 अमेरिकी कर्मचारियों को हटाया। एक तीसरी कंपनी ने 2022 से अब तक 27,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की, जबकि उसने 25,075 H-1B वीजा हासिल किए।

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ट्रंप प्रशासन का तर्क

व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी जनता ने "अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता" देने का जनादेश दिया है और वे इस पर लगातार काम कर रहे हैं। उनका दावा है कि ट्रंप के दोबारा सत्ता संभालने के बाद से सभी नई नौकरियां अमेरिकी जन्मे कर्मचारियों को मिली हैं। वहीं, बाइडेन के कार्यकाल में विदेशी कर्मचारियों को ज्यादा रोजगार मिला था।

भारतीयों पर सबसे बड़ा असर

ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच जारी किए गए लगभग 4 लाख H-1B वीजा में से 72% भारतीय नागरिकों को मिले। ऐसे में ट्रंप के इस आदेश के बाद भारतीय समुदाय में सबसे ज्यादा चिंता और घबराहट देखने को मिली। कई भारतीयों ने अपनी विदेश यात्रा रद्द कर दी, जबकि भारत में मौजूद लोग अमेरिका लौटने की कोशिश में लग गए।

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केवल नई याचिकाओं पर लागू होगा नियम

हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि 1 लाख डॉलर की यह फीस केवल नई H-1B वीजा याचिकाओं पर लागू होगी। मौजूदा वीजा धारकों या पहले से अमेरिका में काम कर रहे लोगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, जो वीजा धारक पहले से अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें दोबारा प्रवेश पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। यह नया नियम 21 सितंबर से लागू हो गया है।

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