

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2’ में परिधि अपने परिवार को ससुराल में हुई परेशानियों का विश्वास दिलाने के लिए नाटक कर रही है। साथ ही मिहिर और तुलसी का झगड़ा रिश्तों में दरार लाएगा। सीरियल में वृंदा-सुभाष और अन्य किरदारों के बीच नए संघर्ष सामने आ रहे हैं।
क्या दूर हो जाएंगे मिहिर-तुलसी
Mumbai: टीवी सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2’ में परिवारिक तनाव और ड्रामे ने दर्शकों को पूरी तरह बांध रखा है। अभी तक की कहानी में परिधि ने अपने मायकेवालों को यकीन दिला दिया है कि उसका ससुराल में काफी उत्पीड़न हो रहा है। वह अपने मायके में ऐसा नाटक कर रही है जिससे सभी को लगे कि उसे वहां शारीरिक और मानसिक तकलीफें मिली हैं। परिधि की ये चाल आगे चलकर बड़े विवाद की वजह बनने वाली है।
सीरियल में नया मोड़ तब आता है जब मिहिर और तुलसी के बीच झगड़ा बढ़ता है। अजय के साथ सभी डील कैंसिल करने पर मिहिर तुलसी पर भड़क उठता है। वह तुलसी से कहता है कि तुम्हें हमेशा महान बनने की जरूरत रहती है। अगर तुम उस वक्त घर के दामाद को जेल नहीं भेजतीं तो ये सब नहीं होता। दोनों के बीच बहस रिश्तों में तनाव बढ़ा देती है।
उधर सुभाष वृंदा को अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वृंदा उसकी बातों में नहीं आ रही। सुभाष की ये असफल कोशिश उसे परेशान कर देती है। वहीं उसका दोस्त रणविजय उसे समझाता है कि वह इस चॉल में रहने वाली लड़की के पीछे समय बर्बाद कर रहा है।
वह कहता है कि तुझे भी मेरी तरह अमीर बाप की लड़की तलाशनी चाहिए जिससे पैसे ही पैसे मिलें। दूसरी तरफ सुभाष, वृंदा के घर जाकर अच्छा बनने की कोशिश कर रहा है ताकि उसका भरोसा जीत सके।
इसी बीच परिधि की चाल और सामने आती है। वह रणविजय को कॉल कर बताती है कि वह अपने पति का घर हमेशा के लिए छोड़ चुकी है। यह कॉल वृंदा सुन लेती है, जिससे उसकी स्थिति और कठिन हो जाती है।
वहीं नंदिनी से बात करते हुए तुलसी कहती है कि परिधि खाना नहीं खा रही है। तभी अजय का कॉल आता है और तुलसी कहती है कि तुम मेरे घर मिलने मत आना, मैं भी तुम्हारे घर नहीं आउंगी। एड्रेस भेजती हूं, वहीं मिलते हैं। यह बातचीत परिधि सुन लेती है और मिहिर को बता देती है।
परिधि मिहिर को इमोशनल ब्लैकमेल करते हुए कहती है कि “मम्मी आज भी मेरी बात नहीं सुन रही।” परिधि की बातें सुनकर मिहिर गुस्से में आ जाता है और नॉयना से शिकायत करता है कि “तुम मेरा इतना साथ देती हो और तुलसी कोई बात समझती ही नहीं।”