

बॉलीवुड की लव स्टोरीज़ अब सिर्फ “प्यार हुआ, शादी हुई” तक सीमित नहीं रहीं। सात दशकों में इन्होंने टूटे दिलों, अधूरे रिश्तों और त्याग की कहानियों के जरिए ब्लॉकबस्टर ट्रेंड बनाए हैं। ‘सैयारा’ जैसी फिल्मों ने ये साबित कर दिया कि आज की ऑडियंस को मोहब्बत में सच्चाई, दर्द और रियल इमोशन्स चाहिए।
बालीवुड में बदल रहा फिल्मों का ग्राफ
Mumbai: म्यूजिकल रोमांटिक फिल्म 'सैयारा' का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है। अहान पांडे ने अपनी डेब्यू फिल्म से ही शानदार शुरुआत की है। 18 जुलाई को वर्ल्डवाइड रिलीज हुई इस फिल्म ने रिलीज के 13 दिन बाद भी बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों की कमाई जारी रखी है। लगातार बढ़ती लोकप्रियता के साथ 'सैयारा' अब भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की सूची में 21वें स्थान पर पहुंच गई है। लेकिन मोहब्बत में सच्चाई, दर्द और रियल इमोशन्स के मेलजोल की ये पहली फिल्म नहीं है।
बॉलीवुड की लव स्टोरीज़ का सफर, 1950 के सपनों जैसे प्यार से लेकर 2025 की इमोशनल सच्चाइयों तक, कई रंगों से भरा हुआ है। जहां एक दौर में "चांदनी" और "सिलसिला" जैसी फिल्में मोहब्बत को खूबसूरत और रोमांटिक दिखाती थीं, वहीं आज की 'सैयारा' जैसी फिल्में इसे रियल, दर्दनाक और टूटे हुए रिश्तों के जरिए पेश कर रही हैं।
1980s–1990s: रोमांस का सुनहरा दौर
फिल्म 'कयामत से कयामत तक' (Img- Google)
1988 में ‘कयामत से कयामत तक’ ने किशोर प्रेम और ट्रैजिक एंडिंग को एक नया मुकाम दिया। इसी दौर में ‘आशिकी’ (1990) और ‘सदमा’ (1983) जैसी कहानियां दिल को छू गईं। उस समय मोहब्बत अधूरी थी, मगर सच्ची थी।
2000s: त्याग और दर्द का उदय
फिल्म 'देवदास' (Img- Google)
‘देवदास’ (2002) और ‘कल हो ना हो’ (2003) जैसी कहानियों में प्रेम के साथ त्याग और मौत जुड़ गए। दर्शकों ने इन्हें गले लगाया क्योंकि वे सिर्फ हैप्पी एंडिंग नहीं, दिल की गहराई चाहते थे।
2010s: इंटेंस इमोशन्स और सेल्फ-डिस्कवरी
फिल्म 'रॉकस्टर' (Img- Google)
‘रॉकस्टार’ (2011), ‘तमाशा’ (2015) और ‘कबीर सिंह’ (2019) ने दिखाया कि प्यार अब सिर्फ दो लोगों की कहानी नहीं, बल्कि व्यक्ति की खुद की खोज, दर्द और मानसिक लड़ाई का हिस्सा है। ये फिल्में सुपरहिट रहीं, भले ही इनमें ब्रेकअप, टूटे सपने और अकेलापन था।
2020s: नई पीढ़ी की नई समझ
फिल्म 'शेरशाह' (Img- Google)
2021 की ‘अतरंगी रे’ और ‘शेरशाह’ ने दिखाया कि प्यार अब ज़्यादा परतों में है—जहां मेंटल हेल्थ, जुदाई और आत्म-सम्मान जैसे पहलू भी सामने आते हैं।
अब ‘सैयारा’ (2025) मूवी, जिसने बॉलीवुड के रोमांस का सिलेबस ही बदल दिया। मोहित सूरी की इस फिल्म ने हार्टब्रेक को इतनी शिद्दत से दिखाया कि थिएटरों में दर्शक रो पड़े। इसके गानों, खासकर “तुम हो तो” ने दिल छू लिया और सोशल मीडिया पर Gen Z को अपनी मोहब्बत की कहानी इसमें दिखी।
फिल्म 'सैयारा' (Img- Google)
‘सैयारा’ क्यों है ये बदलाव का प्रतीक?
फिल्म ने 391 करोड़ रुपये का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया है। इसका म्यूज़िक आज के युवाओं की आवाज़ बन चुका है और ये फिल्म दिखाती है कि आज की जनरेशन प्यार में रियलिज्म और इमोशनल गहराई चाहती है।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बॉलीवुड की लव स्टोरी अब केवल मिलन की कहानी नहीं रही, यह अब टूटे दिलों, आत्म-त्याग और अंदरूनी संघर्षों की ब्लॉकबस्टर गाथा है और ‘सैयारा’ इसका ताज़ा और सबसे प्रभावशाली उदाहरण है।