

चुनाव से पहले दोनों गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर तकरार तेज हो गई है। NDA में छोटे दल नाराज हैं, जबकि INDIA गठबंधन में RJD और कांग्रेस के बीच सहमति नहीं बन पा रही। मांझी, कुशवाहा और कांग्रेस के तेवरों ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूला सामने आते ही एनडीए गठबंधन में दरार साफ नजर आने लगी है। बीजेपी और जेडीयू के बीच 101-101 सीटों का समझौता हुआ, जबकि शेष 41 सीटें छोटे सहयोगी दलों को दी गईं। एलजेपी (रामविलास) को 29 सीटें मिलीं, जिससे चिराग पासवान खुश नजर आए, लेकिन जीतन राम मांझी की ‘हम’ पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की ‘रालोसपा’ को मात्र 6-6 सीटें दी गईं, जिससे इन दोनों नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर की।
उपेंद्र कुशवाहा ने सीटों के बंटवारे पर तीखा बयान देते हुए कहा कि वह अपने कार्यकर्ताओं और टिकट के दावेदारों से माफी मांगते हैं। उन्होंने कहा कि ये फैसला हजारों कार्यकर्ताओं की भावनाओं को आहत कर सकता है। कुशवाहा ने इशारों-इशारों में बीजेपी और जेडीयू को चेताते हुए कहा कि वक्त ही बताएगा कि ये फैसला सही था या नहीं।
नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव
‘हम’ पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी ने भी सीटों को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने 15 सीटों की मांग की थी, लेकिन उनके हिस्से में सिर्फ 6 सीटें आईं। मांझी ने कहा कि उन्होंने आलाकमान के फैसले को स्वीकार किया है, लेकिन कम सीटों से एनडीए को नुकसान हो सकता है। उन्होंने 2020 के चुनाव में 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और इस बार एक सीट भी घटा दी गई।
उत्तर प्रदेश के ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा भी बिहार चुनाव में एनडीए के साथ लड़ना चाहती थी। शुरुआत में उन्होंने 29 सीटों की मांग की थी और बाद में 5 तक आ गए थे, लेकिन उन्हें कोई सीट नहीं दी गई। सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर ने कहा कि बीजेपी नेतृत्व से सकारात्मक संकेत मिला था, इसलिए तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। लेकिन अब सीट न मिलने से पार्टी में असंतोष है।
विपक्षी INDIA गठबंधन, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथी दल और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी शामिल हैं, अब तक सीटों पर सहमति नहीं बना पाया है। करीब दो महीने से बातचीत चल रही है, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा।
सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव कांग्रेस को दी गई सीटों की पेशकश से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस को स्पष्ट संकेत दिया कि अगर बात नहीं बनी तो गठबंधन का आगे बढ़ना मुश्किल होगा। बैठक के बाद तेजस्वी ‘देखेंगे और जवाब देंगे’ कहकर दिल्ली से पटना लौट गए। वे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से भी नहीं मिले।
वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी भी सीटों के बंटवारे को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है, लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार वे ज्यादा सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं।
एनडीए और INDIA दोनों ही गठबंधनों में सीट शेयरिंग को लेकर जो असहमति और नाराजगी सामने आई है, उसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है। छोटे दलों की नाराजगी अगर गहराई तो गठबंधनों की सीटों पर सीधा असर पड़ेगा और मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।