महराजगंज में ये क्या हुआ? उड़े सबके होश, समूह के लोन के कारण मौत, कर्मचारियों से बदसलूकी और व्यथित शख्स का खौफनाक कदम

महराजगंज जनपद में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी के होश उड़ा दिये हैं। समूह का लोन किसी की मौत का कारण बना और कर्मचारियों से बदसलूकी से व्यथित शख्स ने खौफनाक कदम उठाया।

Post Published By: Manoj Tibrewal Aakash
Updated : 12 July 2025, 7:42 PM IST
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बृजमनगंज (महराजगंज): जनपद के बृजमनगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत धानी ब्लॉक के ग्राम महदेवा से एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां कर्ज के दबाव और समूह कर्मचारियों की बदसलूकी से परेशान होकर एक 53 वर्षीय व्यक्ति ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

मृतक की पहचान गांव निवासी श्रीराम प्रसाद के रूप में हुई है, जो लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता से बातचीत के दौरान परिजनों ने बताया कि श्रीराम प्रसाद ने गांव में सक्रिय चार अलग-अलग स्वयं सहायता समूहों से लगभग 40,000 रुपये का कर्ज लिया था। यह लोन उन्होंने घरेलू जरूरतों और बच्चों की पढ़ाई के लिए लिया था। लेकिन समय पर किस्त न चुका पाने की स्थिति में समूह से जुड़े कर्मचारियों ने उन्हें बार-बार घर आकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। आए दिन की धमकियों, अभद्र भाषा और सामाजिक अपमान से त्रस्त होकर श्रीराम ने आखिरकार जहर खा लिया।

परिजनों और ग्रामीणों ने बताया कि श्रीराम प्रसाद ने समूह के कर्मचारियों से कुछ समय मांगा था और वादा किया था कि जैसे ही हालात सुधरेंगे वह बकाया धनराशि चुका देंगे। लेकिन समूह कर्मचारी लगातार उन्हें परेशान करते रहे और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते रहे। शुक्रवार की देर शाम जब मानसिक दबाव अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया, तब उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठाया।

परिजनों ने तुरंत उन्हें इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इस घटना के बाद से मृतक के परिवार में कोहराम मच गया है। श्रीराम प्रसाद के छह बच्चे हैं, जिनमें दो लड़कों और चार लड़कियों में से दो की शादी हो चुकी है, जबकि चार बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं। बच्चों की उम्र 15 से 16 वर्ष के बीच बताई जा रही है।

इस हृदयविदारक घटना से पूरे गांव में शोक की लहर है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्वयं सहायता समूहों के कर्मचारी गरीबों को कर्ज तो आसानी से दे देते हैं, लेकिन किस्त वसूली के समय अमानवीय व्यवहार करते हैं। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा और सहायता प्रदान की जाए।

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