

जब परिवार ने कमरे का दरवाजा बंद देखा, तो आवाज दी, लेकिन जवाब में सिर्फ सन्नाटा मिला। डाइनामाइट न्यूज़ खबर में जानिए कि गोरखपुर के इस घर में क्या हुआ
बेंगलुरु से लौटे शख्स ने की आत्महत्या
गोरखपुर: जिले के खजनी क्षेत्र रकौली गांव में उस रात सन्नाटा इस कदर पसरा कि हर दिल कांप उठा। खजनी थाना क्षेत्र के 35 वर्षीय कृष्णकांत यादव उर्फ मोनू ने रविवार देर रात अपने ही घर के कमरे में फंदे से झूलकर जीवन की डोर तोड़ दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, बेंगलुरु में मेहनत कर परिवार का पेट पालने वाला यह युवक कुछ महीने पहले ही गांव लौटा था, मगर गृहकलह की आंधी ने उसे इस कदर तोड़ा कि उसने खामोशी से दुनिया को अलविदा कह दिया।
सोमवार की सुबह, जब परिवार ने कमरे का दरवाजा बंद देखा, तो आवाज दी, लेकिन जवाब में सिर्फ सन्नाटा मिला। खिड़की से झांकते ही घरवाले स्तब्ध रह गए, कृष्णकांत का शव पंखे से लटक रहा था। दरवाजा तोड़ा गया, शव उतारा गया, और पुलिस को सूचना दी गई। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। घर में कोहराम मचा है। पत्नी सदमे में बेसुध है, और 12 साल का मासूम बेटा बार-बार पिता को पुकार रहा है, अनजान कि उसका सहारा हमेशा के लिए छिन चुका है।
गांव में मातम का आलम है, हर आंख नम, हर दिल में सवाल कि क्या वजह थी कि एक हंसता-खेलता इंसान यूं चुप हो गया?
प्रभारी निरीक्षक अर्चना सिंह ने बताया कि शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मौत के कारणों का खुलासा जांच और रिपोर्ट से होगा। मगर सवाल वही है कि क्या पारिवारिक तनाव ने कृष्णकांत को इस कदम तक पहुंचाया, या कोई और अनकही पीड़ा थी?
जवाब जो भी हो, एक परिवार उजड़ गया, और एक बच्चा उम्र से पहले अनाथ हो गया। यह खामोशी अब गांव की गलियों में गूंज रही है, और हर कोई सोच रहा है कि काश, कोई उसकी चुप्पी को समझ पाता, तो शायद एक जिंदगी बच जाती।