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सदर तहसील क्षेत्र के महादेव झारखंडी दुर्गानगरी नंबर–2 स्थित आराजी संख्या 200/1 को लेकर एक बड़ा विवाद उभरकर सामने आया है। मामला न सिर्फ जमीन पर दान विलेख से जुड़ा है, बल्कि इसमें जाति प्रमाण पत्र की फर्जीबाज़ी, न्यायालय के स्थगन आदेश की अवहेलना और विभागों को गुमराह करने के गंभीर आरोप शामिल हैं। पढिए पूरी खबर
हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना का धोखाधड़ी का गंभीर आरोप
गोरखपुर: सदर तहसील क्षेत्र के महादेव झारखंडी दुर्गानगरी नंबर–2 स्थित आराजी संख्या 200/1 को लेकर एक बड़ा विवाद उभरकर सामने आया है। मामला न सिर्फ जमीन पर दान विलेख से जुड़ा है, बल्कि इसमें जाति प्रमाण पत्र की फर्जीबाज़ी, न्यायालय के स्थगन आदेश की अवहेलना और विभागों को गुमराह करने के गंभीर आरोप शामिल हैं।
क्या है पूरी खबर
जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान मुख्तार-ए-आम अखिलेश यादव और शिकायतकर्ता मातादीन शुक्ला ने आरोप लगाया कि सुरेंद्र सिंह के पुत्र मनीष सिंह उर्फ भोलेन्द्र सिंह ने पिछड़ी जाति का होते हुए स्वयं को सामान्य वर्ग (क्षत्रिय) दिखाकर विवादित भूमि पर 20 जून 2025 को दान विलेख कराया। उन्होंने बताया कि दान पत्र में मनीष सिंह और उनकी माता दोनों ने स्वयं को सामान्य वर्ग दर्शाया है, जबकि वास्तविकता इससे भिन्न बताई जा रही है।
पूरी प्रक्रिया को गलत बयानी के आधार पर आगे बढ़ाया
सबसे गंभीर पहलू यह है कि उक्त भूमि पर माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज में वाद संख्या 12915/2018 के तहत एक एकड़ भूमि पर स्थगन आदेश लागू है। बावजूद इसके दान विलेख कराया जाना न्यायालय के आदेश की सीधी अवहेलना माना जा रहा है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि अदालत के स्टे ऑर्डर को छिपाकर प्रशासनिक अधिकारियों को भ्रमित किया गया और पूरी प्रक्रिया को गलत बयानी के आधार पर आगे बढ़ाया गया।
भूमि पर लगातार हो रही रजिस्ट्री
विवादित जमीन पर वर्ष 2016 में भी इंडियन टैंकर के प्रोपराइटर नौसाद अहमद द्वारा दिलीप सिंह मजिठिया से रजिस्ट्री कराई गई थी, जो आज भी न्यायालय में लंबित है। इस प्रकार एक ही भूमि पर लगातार हो रही रजिस्ट्री और दान विलेख से विवाद और गहराता जा रहा है।
ऋषिकेश सिंह ने पूर्व में दिए गए नोटिस के जवाब
दान पत्र में गवाहों के रूप में चडरांव, सहजनवां निवासी ओम नारायण सिंह तथा महराजगंज के बृजमनगंज क्षेत्र निवासी कृष्णा यादव के हस्ताक्षर भी दर्ज हैं। पीड़ित पक्ष का कहना है कि पूरी प्रक्रिया सुनियोजित तरीके से पूरी की गई है।सबसे अहम तथ्य यह है कि मनीष सिंह के भाई एवं प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक ऋषिकेश सिंह ने पूर्व में दिए गए नोटिस के जवाब में अपनी जाति ‘पिछड़ी कुर्मी सैंथवार’ स्वीकार की थी। इससे जाति प्रमाण पत्र में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े के आरोप और मजबूत हो गए हैं।
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पीड़ितों को न्याय मिल सके
प्रेस वार्ता में मुख्तार-ए-आम अखिलेश यादव और मातादीन शुक्ला ने कहा कि -“जाति की गलत जानकारी देकर दान विलेख कराना, न्यायालय के स्टे आदेश की अवहेलना करना और विभागों को धोखे में रखना अत्यंत गंभीर अपराध है।” उन्होंने शासन–प्रशासन से मांग की कि इस पूरे प्रकरण में जालसाजी, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े तथा न्यायालय अवमानना के तहत तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी पर रोक लग सके।